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हेम के कज्जल छंद

भाजी खूब विटामिन भरे पाव। ताजा भाजी टोर लाव। अपन बने सेहत बनाव। भाजी पाला रोज खाव। योग करलव बढ़िया रोज योग। होत बिहनिया करव भोग। होवय तन हर जी निरोग। भारत मा हो स्वस्थ्य लोग। छत्तीसगढ़ी भाखा भाखा ला जी अपन जान।   आही फेर नवा बिहान। छत्तीसगढ़ी रखव मान। बोलव सबो अपन जुबान। गुरतुर भाखा गुरतुर भाखा सदा बोल। मनमा तँय झन जहर घोल। तोर शब्द के हवय मोल। अपन बात रख तोल तोल। घड़ी देख समय के अंतराल। डिब्बा अंदर के कमाल। टिकटिक घूमे चक्र काल। समय बतावत चले चाल। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

अमर अटल बनहूँ फौजी (हेम के कुकुम्भ छंद)

कहिथे नोनी सुन दाई ला, अमर अटल बनहूँ फौजी। अपन देश के रक्षा खातिर, करहूँ मँय हर मन मौजी।। मोरो रग रग मा भारत हे, बनहूँ मँय हर मर्दानी। सब दुश्मन ले लोहा लेहूँ, बन मँय झाँसी के रानी।। जय भारत जय भाग्य विधाता, रोजे मँय गावँव गाथा। हे भारत भुइँया महतारी, अपन लगालँव तोला माथा।। बइरी मन के काल बनव मँय, घुसे नहीं सीमा द्वारी। खड़े तान के सीना रइहूँ, सौ सौ झन बर मँय भारी।। काली दुर्गा रणचंडी बन, बइरी ला मार भगाहूँ। भारत के वीर तिरंगा ला, सदा सदा मँय लहराहूँ।। अटल खड़े रइहूँ पहाड़ जस, अपन देश के मँय सीमा। देख देख बइरी मन भागय, ताकत रखहूँ जस भीमा।। दुश्मन कतको मार भगाहूँ, रहूँ एकदम मँय चंगा। मर जाहूँ ता पहिरा देबे, मोला तँय कफन तिरंगा।। जय भारत जय भारतीय के, बोले दुनिया जयकारा। अपन वीर बलिदानी मन के, गूँजय सबो डहर नारा।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

मोर परिचय ( हेम के दोहे)

सोनमती दाई हरे, देवय मया दुलार। बैसाखू मोरे ददा, करथे मया अपार।। दसरू के नाती हरव, बेटा आँव किसान। पर सेवा उपकार मा, बसथे मोर परान।। गिधवा हावे गाँव जी, हेमलाल हे नाव। आय जिला बेमेतरा, माटी माथ लगाव।। चिरई चुरगुन हा करे,  जिहाँ बसेरा जान। चना उँहारी संग मा, बोवय सुघ्घर धान।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

गहना ( हेम के दोहे)

माथे साजे बिंदिया, गला गजमुखन हार। कनिहा मा करधन रहें, सोला कर सिंगार।। लाल पटा अउ बिंदिया, चूरी लाली रंग। लाली माहुर पाँव के, होठ गुलाबी संग।। रुपया टोड़ा ला पहिर, देख जाय बाजार। ऐंठी लच्छा संग मा, लेवत नथली हार।। बिछिया फूली रुपया, देख देख मन भाय। पहिर नाग मोरी सुता, रानी बन ओ आय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

जनभाषा (हेम के दोहे)

सुघ्घर राख बिचार ला, सबके मन ला भाय। लिखबो जन भाषा बने, सबला बने मिठाय।। शब्द सहज दोहा सरल, जगा छंद के भाग। सूर ताल बढ़िया रहे  धरके गावव फ़ाग।। भाषा छत्तीसगढ़ के, होवय संगी पोठ। बोल मया के बात ला, गुरतुर लागे गोठ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

पहनावा (हेम के दोहे)

लुगरा छाया पोलखा, पहनावा हे जान। धोती कुरता हा रहे, पुरखा के पहचान।। पहली के पहनाव मन, नन्दावत हर गाँव। अबतो खुमरी के कभू, मिले इहाँ ना छाँव।। लुगरी धोती मन गये, देख सबो अब लुकाय। सूट पीस अउ जीन्स हा, अब सबला हे भाय।। नोनी पहिरे फ्रॉक अउ, पहिरे फाफे पेन्ट। जावत रद्दा बाँट मा, सींच सींच के सेन्ट।। धोती कुरता छोड़ के, पहिरत जींसे टाप। लाल सरम ला बेच के, बने ब्रिटिश के बाप।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

मातर मड़ई (हेम के दोहे)

राउत निकले देख ले, लउठी धरके हाथ। दोहा पारत जात हे, हावय मड़ई साथ।। लउठी चाले हाथ मा, चलै अखाड़ा खेल। देखइया मन आय हे, कतका ठेलम ठेल।। मड़ई मातर निक लगे, राउत भैया तोर। राउत नाचा संग मा, लावव नव अंजोर।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

गुरु (हेम के दोहे)

सुन के गुरु बानी मिटै, मन के माया हेम। धुलथे मनके पाप हा, बाँच जथे बस प्रेम।। अहंकार जबले बढ़ै, जग मा होय विनास। ककरो नइहे फायदा, छोड़ अहम के दास।। चलबो गुरु के नाँव मा, हमतो होय सवार। डुबती नइया ले करें, भव सागर ले पार।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

फूल (हेम के दोहे)

फूले फूल गुलाब के, भँवरा हा मँडराय। सुघ्घर के चक्कर परे, काँटा मा छेदाय।। सबके पावय जे मया, बनके सुघ्घर फूल। सबके मन ला मोह के, रखथे सबला कूल।। चम्पा मन मुस्कात हे, गीत चमेली गात। गोंदा ठोकत ताल ला, देख चँदैनी रात।। सुघ्घर कहत गुलाब हा, सुनव मोंगरा बात। जाबो दाई दुवरिया, गीत हमन जस गात।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

छत्तीसगढ़ी मिष्ठान (हेम के दोहे)

रोटी चौसेला दिखे, सबके मन ललचाय। चटनी बनय पताल के, चाट चाट के खाय।। लाड़ू मिलै बिहाव मा, जावय सगा बरात। सबला सँग बैठार के, लाड़ू भात खवात।। हमरो दाई डोकरी, रोटी गजब बनाय। संगी साथी रोज के, लुका लुका के खाय।। टपकत हावे लार हा, सुनके सबके बात। जागेंव अभी नींद ले, देख बिजौरी भात।। अइसा खुरमी ठेठरी, सुघ्घर सबला भाय। तीजा पोरा के परब, सब घर खूब बनाय।। भजिया सोंहारी बरा, चीला मुठिया खाय। सुरता मोला आत हे, घर मा हमर बनाय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

हेम के दोहे

जुआँ गोसइया खेलय जुआँ, घर बार होय नास। कोनो पावय पार ना, कहिथे जेला तास।। जबले खेले तँय जुआँ, लछमी रहै न साथ। बात मान ले मोर गा, धन ना आवय हाथ।। मंद दारू पीके झन करव, अपन बुद्धि ला मंद। करथे बढ़ नुकसान गा, करय साँस ला बंद।। छेरी छेरी पालन ला करव, बढ़य बने जी आय। माँस मंदिरा के चलन, कलयुग ला हे भाय।। बढ़िया साधन आय के, छेरी पालन भाय। राख कइसनो बाँध के, मेर मेर नरियाय।। जाता घड़र घड़र जाँता बजे, लागे निक ले तान। दार दरय घर मा बने, देख बना के घान।। गोल गोल चक्का चले, ऊपर नीचे जान। कनकी ठोम्हा ओइरे, बनके गिरय पिसान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

पूस (हेम के दोहे)

आय महीना पूस के, जाड़ा लावय संग। हाथ गोड़ होवय करा, लागय तन बेरंग।। पूस मास करिया कहै, करै नहीँ शुभ काम। बेरा लीलत पूस हा, झटकुन होवय शाम।। आय महीना पूस के, मुँह ले फेकय भाप। तन पथरा कस होय जी, लेवव आगी ताप।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

हेम के दोहे

मँय चाहत हव मँय चाहत हव जी सबो, मिलके रहिबो एक। करबो साहित बर बने, काम सबो मिल नेक।। मँय चाहत हव मन रहै, सुघ्घर काबू मोर। करके चिंतन साधना, लाँवव नवा अँजोर।। मँय चाहत हव देश मा, आवय नवा अँजोर। सबके घर रहतिस खुशी, देत मया के सोर।। मोला अइसे लागथे मोला अइसे लागथे, देश बदलही मोर। आही सुघ्घर देश मा, फेर नवा अंजोर।। मोला अइसे लागथे, बढ़ी मया के डोर। पर सेवा जिनगी रही, सबके लेवत सोर।। मोला अइसे लागथे, गीता जग हे सार। करै पाप के नाश ला, बिसनू ले अवतार।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

सब एक हन (हेम के दोहे)

मनखे मनखे एक हन, काबर हे मन खोट। भाई ला भाई करँय, काबर अइसन चोट।। जाति धरम हा एक हे, काबर करथे भेद। मानवता ला छोड़के, अन्तस करथे छेद।। राम रहिम सब एक हे, छोड़व मनके द्वेष। मिलके रहिबो हम सबो, होय कभू ना क्लेश।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

धान के महिमा (हेम के दोहे)

गली खोर ममहाय जी, महके जब दुबराज। धान महंगा आय जी, रखथे सुघ्घर साज।। बोवय बिसनू भोग ला, मन हा देख हर्षाय। अइस महामाया बने, कम पानी हो जाय।। करिया करिया धान हे, कहिथे केसर नाग। बढ़िया खेती होय गा, कचरा जावय भाग।। सबले मोटा होय गा, रानी काजर धान। बड़का बाली हा रहै, कूत गिये बड़ जान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

खेल( हेम के दोहे)

खेलत खेलत सीख ले, जिनगी मा तँय ज्ञान। बढ़ते ताकत खेल मा, होवय तन बलवान।। खेलव खोखो कब्बडी, सुघ्घर दौड़ लगाव। गिल्ली डंडा खेल के, आँखी नजर बढ़ाव।। खेलव पचरंगा सबो, अउ जी संग कुदाल। राजा रानी खेल मा, दुश्मन खोलव चाल।। रेस टीप ला खेलबो, देख देख छूवाय। पहला पारिस टीप ला, दाम देत रोआय।। चल ठप्पा ला खेलबो, मिलके सबो लुकाय। पहली ठप्पा हेम के, सब मिलके चिड़हाय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

*मोबाइल फोन (छप्पय छंद)*

मोबाइल के देख, हवय महिमा बड़ भारी। करले सबसे गोठ, बता के दुनिया दारी। शहर होय या गाँव, सबो मेर लगे टॉवर। धरै हाथ मा फोन, बढ़े हमरो बड़ पॉवर। पहुँचे झट संदेश हा, बाँचत हे हमरो समे। सब मनखे ला देख ले, मोबाइल रहिथे रमे। बित्ता भरके फोन, बाँध के सबला रखदिस। बना एक परिवार, देख दुरिहा कम करदिस। करव वीडयो कॉल, मया ला सुघ्घर देखव। हाल चाल ला पूछ, सीख ला कतको लेलव। बढ़िया कर उपयोग ला, इहाँ ज्ञान विज्ञान हे। सही गलत पहिचान कर, मनखे बर वरदान हे। बिन सिम कार्ड फोन, एकठन बस खोखा हे। बिजली चार्जिंग जान, बिना एकर धोखा हे। करवा प्लान रिचार्ज, इही एकर बर खाना। डाटा रखें सहेज, रेम चिप हवय ठिकाना। नेटवर्क संचार हे, जेकर मुख आधार जी। अब मोबाइल फोन हे, इहाँ सबो बर सार जी। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

चौमासा चौपाई छंद

चौपाई चार महीना के चौमासा। लावय मन मा सुघ्घर आसा। सबके हाँसत हे जिनगानी। आवत देखत बरखा रानी।1। काँटा खूँटी करय बिनाई। होवय आसाढ़ म बोवाई। नागर मा करके जोताई। बोवय धान ल बड़का भाई।2। सावन आय छाय अँधियारी। दिखथे बदरी कारी कारी। रात बरोबर दिन हा लागय। बादर मा जा सुरुज लुकावय।3। बिजली हा बादर मा लउके। गरज गरज के ओहर कड़के। घुमड़ घुमड़ के बरसे पानी। सुघ्घर होवय हमर किसानी ।4। देख मेचका मन नरियावय। इंद्र देव ला इहाँ बुलावय। झींगुर मन हर सोर मचावय। चौमासा हा उनला भावय।5। हरियर हरियर देखव काँदी। घोंघी मन खेलत हे घाँदी। मछरी मन हर कूदत नाचत। खड़े कोकड़ा ओला ताकत।6। भरे लबालब नरवा तरिया। पानी पानी दिखथे नदिया। कतको बोवय भाजी पाला। पनपे कीड़ा मन के जाला।7।  सावन भादो आश्विन कहना। आय प्रकृति बर सुग्घर गहना। हरियर रुख राई के पाना। देख देख मन गावय गाना।8। अपन प्रकृति हा रंग दिखावय। सरग बरोबर भुइँया लागय।7।  धरम करम के महिना आवय। चौमासा सबके मन भावय।9।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

हेम के ताटंक छंद(बचपन के खेल)

किसम किसम के खेल ल खेलन, मिलके जी बाँटी भौरा। बचपन  के  सुरता  आवत हे,  महावीर  गौरा  चौरा।1। रेस टीप  अउ खोखो  ठप्पा, पचरंगा  गिल्ली डंडा। पतरगढ़ी फुगड़ी खेले बर, अपनावन कतको फ...

चौपाई छंद(आधुनिक खेती)

आँव आधुनिक खेती करबो। अपन भाग्य ला सुग्घर गढ़बो।। आगे हावय नवा जवाना। साथ समे के हवय निभाना।1। ट्रेक्टर ले करबो बोवाई। बचत समय के होवय भाई। नवा किसम के नवा निदाई। बन नाशक ले ...

हेम के कुंडलिया

आँखी भारत देश ला,   झन तँय  देखा चीन। जन्म जात के दोगला,   हावस तँय गुण-हीन। हावस  तँय  गुण-हीन,  परे हे  चाल म  कीड़ा। हमर  देश  के  शान,   तोर  बर  हावय  पीड़ा। गिरबे  मुड़  के  भा...

हेम के अमृतध्वनि छंद(कोरोना)

ढावत कोरोना कहर, जी के हे जंजाल। फैलावत हे रोग ला, बनके हमरे काल। बनके हमरे, काल आय हे, माहामारी। मनखे रोवत, आये हावय, विपदा भारी। गाँव शहर मा, रोगी देखव, कसके बाढ़त। कोरोना हा, अप...

हेम के कुंडलिया(बाबू)

रहिथेे बाबू साथ मा, बनके ताकत मोर। जेकर आर्शीवाद ले, हावव बने सजोर। हावव बने सजोर, करँव जेकर मँय पूजा। मानव मँय भगवान, नहीं अउ कोई दूजा। सबके भार उठाय, दुःख पीड़ा ला सहिथे। बाँ...

हेम के अमृतध्वनि छंद

रुख राई ला काँट झन, मानव जी उपकार। जेमा जिनगी हा बसे, करव प्रकृति ले प्यार।। करव प्रकृति ले, प्यार सदा जी, सुख ला पाबे। पेड़ लगा के, प्रकृति बचाके, फल ला खाबे।। सोच समझ के, जग ला दू...

छंद परिवार ला समर्पित(कुंडलिया छंद)

सँवरे जिनगी हा जिहाँ, पाके सुघ्घर ज्ञान। हवय छंद परिवार हा, सबले मोर महान। सबले मोर महान, करँव जेकर मँय पूजा। अइसन घर परिवार, मिले ना जग मा दूजा। बनके साधक दीप, आज जग मा हे बगरे...

हेम के कुण्डलिया (मस्तुरिया जी ला समर्पित)

जन नायक कवि तोर जस, जघा कौन ले पाय। देश राज के तोर बिन, कोने हाल सुनाय। कोने हाल सुनाय, इहाँ कौन स्वाभिमानी। जन पीड़ा ला कौन, रचे बनके बलिदानी। राज हितैषी आज, तोर कस नइहे लायक। भा...

छत्तीसगढ़ के माटी पूत वीर सपूत जन नायक कवि लक्ष्मण मस्तुरिया जी ला समर्पित आल्हा छंद एकठन रचना.......

माटी के हमर दुलरु बेटा, लिखत रहिस जन मन के पीर। हमर राज के मस्तुरिया जी, रहिस हवे जन नायक वीर।1। गीत लिखे ओ सदा मीत के, बाँटय सदा मया के खीर। आडम्बर के घोर विरोधी, कहिले जेला हमर क...

विश्व तम्बाकू(माखुर) निषेध दिवस मा एकठन हेम के अमृत ध्वनि छंद समर्पित.........

खैनी गुटखा संग मा, करें गुड़ाखू भोग। पी बीड़ी सिगरेट दे, न्यौता कैंसर रोग। न्यौता कैंसर, रोग मौत के, हावय सीढ़ी। डूबै हावय, देख नशा मा, जम्मो पीढ़ी। माखुर सेवन, रोग संग दे, मन बेचैनी...

मजदूर ऊपर हेम के कुंडलिया सादर समर्पित हावय

आँय पुजारी मेहनत, के इन सब मजदूर। करिन पलायन पेट बर, होके जी मजबूर।। होके जी मजबूर, पाय बर दाना पानी। कोरोना के काल, गढ़िस से अजब कहानी। होवत हें हलकान, भूख के हे लाचारी। लगथें इ...

कोरोना वायरस

🌺बरवै छंद🌺 कतको होत वायरस, ले बीमार। लक्षण सर्दी खाँसी, संग बुखार।1। कोविड नाइन्टिन हे, जेकर नाम। मिले संक्रमण ले गा, ना आराम।2। रहव एक मीटर ले, सबले दूर। चेतावत हव मँय, हर भरप...

डॉ भीमराव अंबेडकर

कज्जल छंद जय हो अम्बेडकर तोर। गावँव महिमा हाथ जोर। लाये बिद्या के अँजोर। बाँटे तँय हर गली खोर।1। सत्य अहिंसा रहय शान। गाँधी जी के तँय मितान। सुघ्घर बोली मीठ जुबान। जन मा ब...

हेम के आल्हा छंद

चरदिनिया जिनगानी हावय, करलव सेवा पर उपकार। अपन समय झन खो रे संगी, बइठे घर मा तँय लाचार।1। अलख जगा बिद्या के जग मा, शिक्षा के दीया ला बार। पाठ पढ़ा तँय मानवता के, बगरे झन ईष्या के नार।2। जात पात के भेद भाव मा, मानवता ला झन तँय टोर। दया मया के बाँध गाँठ ला, टूटय झन सुम्मत के डोर।3। मन्दिर मज्जिद गुरुद्वारा अउ, चर्च सबो ला एक्के जान। मानवता सबले बड़का हे, हमरे बर जग मा भगवान।4। मिले नहीं गा बिना करम के, कोनो ला फल तँय हर मान। छोड़ भाग्य कर अपन भरोसा, तोर बनय जे हर वरदान।5। प्रकृति संग मा करव मितानी, मिलही भैया सुख के छाँव। सत्य अहिंसा के रद्दा मा, अपन अपन रेगालव पाँव।6। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

हेम के शंकर छंद

पेट भरे खातिर जाँगर ला, जौन पेरत जाय। ढेला पखरा माटी के सँग, बोझ सबे उठाय। गार पसीना महल अटारी, जौन सदा बनाय। खुद के जेकर घर नइहेे जी, रात कहाँ पहाय।1। रॉपा हँसिया कुदरी कतकोे, त...

*चौपाया छन्द*

तोरो हो पीड़ा, परही कीड़ा, देवत सब जन गारी। पापी कोरोना, कोना कोना, फैला झन बीमारी। जनता हाँ रोवे, जन ला खोवे, छोड़व अत्याचारी। कोरोना हारय, अबतो भागय, करव सबो तैयारी।1। लक्षण ला जा...

हेम के दोहे

ग्रहण धरलिस देश ला, जाने कौन बचाय। कोरोना के रोग हा, रोजे बाढ़त जाय।1। गाँव शहर मा देख ले, सबो हवय घबराय। कोरोना के डर घलो, भीतर भीतर खाय।2। ताकत भारत देश के, कोरोना ल बताव। गाँव शह...

कोरोना वाइरस

सबो मुड़ा डर छाय, देश दुनिया मा संगी। कइसे बचही प्रान,   वाइरस  हे अँतरंगी।। बाढ़त हवय मरीज, सबो ओना कोना केे। फैलादिस  हे चीन, वाइरस  कोरोना  के।। खाँसी संग बुखार,  हरय लक्षण क...

शंकर छंद

नैतिक शिक्षा नैतिक शिक्षा जग बगरा के, लाव नवा सुराज। जात पात ला ऊँच नीच के, पाट दव गा आज।। भैर भाव ला मन के मेटव, करव सबसे प्रेम। जिनगी के दिन बस चार हवय, फेर नइहे टेम।। राजनीति र...

*प्लास्टिक*

प्लास्टिक ले दूषित सबो, खाना कैंसर लाय। प्लास्टिक हा जब भी जले, प्रदूषण फैलाय।। बंद प्लास्टिक ला करौ गा, लाव झन उपयोग ला। हानि कारक बड़ हवे गा, लाय तन मा रोग ला।। जे सड़े  ना  अउ  ...

हेम के ताटंक छंद

किसम किसम के खेल ल खेलन, मिलके बाँटी भौरा। बचपन  के  सुरता  आवत हे,  महावीर  गौरा  चौरा।1। रेस टीप  अउ खोखो  ठप्पा, पचरंगा  गिल्ली डंडा। पतरगढ़ी फुगड़ी खेले बर, अपनावन कतको फंड...