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जुलाई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

चौपई छन्द (पताल)

रहिथे गोल गोल जी, दिखथे लाल। बारी मा फरथे जी, करय कमाल।। जेकर हे पताल गा, सुनलव नाव। घर बारी मा पाबे, सबके गाँव।। बारो महिना रहिथे, जेकर माँग। डारके बना संगी, बढ़िया साग।। बने पी...

(चौपई छन्द) राखी

महिना हावय भादो मास। भाई बहनी बर हे खास।। भैया ला बहनी के आस। मन मा राखे हे बिस्वास।। आगय राखी हमर तिहार। बहनी मन होवत तैयार।। बहनी राखे मया दुलार। भैया के आशीष अपार।। बाँ...

(चौपई छन्द) बरखा

बरखा के आवत हे सोर। पानी गिरत गली अउ खोर।। सावन महिना के हे जोर। नाचत हावय बन मा मोर।। धरै मेचका सुघ्घर राग। झिंगरा गावत हावे फाग।। देख केकड़ा पीटत डोल। घोंघी खेलय घांदी गोल...

चौपई छन्द

जिनगी मा नइ हावय टेम। तँय सुनले गा बाबू हेम।। रखबे मन मा तैहर प्रेम। जग मा तभे कमाबे नेम।। महिना आय जेठ बैसाख। देख उड़त माटी अउ राख।। तात तात ले चलथे झाँझ। होत बिहनिया ले जी स...

*जय शिव शंकर* सरसी छन्द

जय शिव शंकर भोले बाबा, महिमा गावँव तोर। तन मन ला अर्पित कर देवँव, मानौ श्रद्धा मोर।। करहूँ संझा अऊ बिहनिया,  तोर नाव के जाप। तँय निरमल पावन मन वाले, बइठ हृदय में आप।। भवसागर के...