रहिथे गोल गोल जी, दिखथे लाल। बारी मा फरथे जी, करय कमाल।। जेकर हे पताल गा, सुनलव नाव। घर बारी मा पाबे, सबके गाँव।। बारो महिना रहिथे, जेकर माँग। डारके बना संगी, बढ़िया साग।। बने पी...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।