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अगस्त, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेमलाल साहू के चौपाई छंद

मच्छर अपन जहर फैलावत। गाँव शहर के घर घर जावत। डेंगू के बीमारी बगरावत। कहर मौत के हे बरपावत।1। देख राज मच्छर के आगे। तोर स्वच्छता कहाँ गवागे। रोज एक झन ला मरना हे। मच्छर के तो ...

सरकार के संचार क्रांति योजना

आगे जी संचार क्रांति हा, होही खूब विकास। मनखे सबो आलसी बनही, करही टाइप पास।1। घर घर बाँटे मोबाइल ला, रमन कका हा भेज। जम्मो लाभार्थी लेवत हे, बिना करे परहेज।2। ढकोसला संचार क्र...

ताटंक छन्द -मया के सुरता

गोरी तोर मया के सुरता, रही रही के आथे ओ। तोला देखे बर आँखी हाँ, ये मोर तरत जाथे ओ।1। तोर बिना जग सुन्ना लागे, कुछु मोला नइ भावे ओ। रात मोर बर बइरी होगय, नींद कहाँ ले आवे ओ।2। काबर हव...

हरेली तिहार सरसी छंद

हरियर हरियर डारा पाना, हरियर दिखथे खार। आगय आगय हमर हरेली, पहली आज तिहार।1। नोनी बाबू अउ सियान मन, होंगे गा तैयार। कोरे गाँथे बड़ चुकचुक ले, बइठे तरिया पार।2। लीपे पोते घर अँगन...