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जून, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के कुंडलिया

जिनगानी मा रुख हवै, संगी बड़ अनमोल। रखबे बने सहेज के, झन कर टाल मटोल।। झन कर टाल मटोल, राख बढ़िया से भाई। रोज लगा तँय पेड़, हाँसही धरती माई।। आवय सुघ्घर देख, हमर जी बरखा रानी। लगाबो...