जिनगानी मा रुख हवै, संगी बड़ अनमोल। रखबे बने सहेज के, झन कर टाल मटोल।। झन कर टाल मटोल, राख बढ़िया से भाई। रोज लगा तँय पेड़, हाँसही धरती माई।। आवय सुघ्घर देख, हमर जी बरखा रानी। लगाबो...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।