सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

फ़रवरी, 2022 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के बरवै छन्द (सतगुरु रविदास)

16 फरवरी सतगुरु रविदास जयंती के हार्दिक बधाई अउ शुभकामनाएँ मँय बन्दत हव तोला, गुरु रविदास। मानवतावादी तँय, सतगुरु खास।। तोरे अमरित वाणी, हे अनमोल। शांत धीर अउ गुरतुर, हावे बोल।। मन आत्मा ला पूजे, अंतर ध्यान। मन मंदिर ला खोले, पाये ज्ञान।। जग मा सबो एक हे, ये भगवान। राम रहिम अउ ईसा, एक्के जान।। काम बुता ला सुग्घर, करले नेक। भाई चारा ल बढ़ा, ईष्या फेक।। मन ला चंगा राखे, करहूँ काम। पाव कठौती गंगा, बाढ़य नाम।। जात पात मा झनकर, गरब गुमान। धरम करम बड़का हे, रख ईमान।। सुन रविदास कहे, जाँगर पेर। फेर रहे ना जिनगी, मा अंधेर।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

*हेम के विधाता छन्द (किसान)*

हरे अनमोल हीरा ओ, कमाथे जे किसानी ला। नफा सूझे कहा भैया, इहाँ ओ अन्न दानी ला।। कमाये पेर जाँगर ओ, सहे गा घाम पानी ला। बहाये तन पसीना ओ, खपा देये जवानी ला।। *-हेमलाल साहू* छन्द साधक, सत्र -1 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के बरवै छंद (आगे नवा बछर)

आगे नवा बछर के, पहली भोर। हैप्पी न्यू ईयर हे, सबला मोर।। अंग्रेजी कैलेंडर, जग भर छाय। कोनो नइहे संगी, अब पिछ्वाय।। नवा बछर मा सबले, रिश्ता जोड़। बैर भाव अउ झगरा, सबला छोड़।। सादा जिनगी रखबे, उच्च विचार। सुम्मत के सुग्घर जग, बगरय नार।। नवा बछर मा संगी, बनव निरोग। अच्छा स्वास्थ्य रइही, करलव योग।। बीड़ी तम्बाकू अउ, मदिरा पान। बीमारी ला पनपा, लेथे जान।। नवा बछर मा गुरतुर, बोली बोल। दया मया के सुग्घर, बानी घोल।। मन आपा झन खोवय, बाँधव पार। जिनगी के सब विपदा, ला दे टार।। आही नवा बछर के, नव अंजोर। आसा हावय सुग्घर, मन मा मोर।। फेर भाग्य हर खुलही, सुग्घर तोर। जी जान लगाके तँय, जांगर टोर।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र- 1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के सरसी छन्द (बसन्त ऋतु)

आगे हे राजा बसंत ऋतु, सबके मन ला भाय। रंग बिरंगी जग मा सुघ्घर, छटा प्रकृति के छाय।। झुमके काँदी करथे स्वागत, फूल देख मुस्काय। चिरई चिरगुन घूम घूम के, संदेशा बगराय।। गोंदा चम्पा अउ चंदैनी, बगिया ला महकाय। मस्त मगन भौरा नाचे, देख खूब इतराय।। सरर सरर चलथे पुरवइया, बहिथे चारो ओर। तरिया अउ नदिया के पानी, मारे देख हिलोर।। धीरे धीरे आमा मउरे, कोयल गावय गीत। लाली लाली परसा फूले, जागे सबके प्रीत।। पीयर पीयर सरसो फूले, छाये मन उल्लास। रुख राई के हरियर पाना, लाये नव उज्जास।। - हेमलाल साहू छन्द साधक, सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के सार छंद (बेटी)

 जग बर वरदान हवे, समझव इखरो पीरा। झन मारव संगी कोख म, अनमोल एक हीरा।। लक्ष्मी दाई बनके सुघ्घर, घर मा आथे बेटी। दया मया के गठरी बांधे, लाये सुख के पेटी।। दादा दादी के सँगवारी, बनथे मीत मयारू। दाई बाबू बर सुख दाता, बेटी होय जुझारू।। सबो परीक्षा मा अव्वल जे, पढ़े लिखे मा आगू। डॉक्टर सैनिक बने शिक्षिका, नइहे बेटी पाछू।। दू ठन कुल ला रखें बाँध के, कतको झेल झमेला। दाई बहनी भाभी पत्नी, बिन जिनगी न कटेला।। कुल गौरव चरित्र निर्मात्री, बेटी बड़ संस्कारी। जग हे जेकर बिना अधूरा, महिमा हावे भारी।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-1 ग्राम -गिधवा, जिला बेमेतरा