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सरसी छंद (गुरु घासीदास बाबा)*

सत्य नाम ला अमर करइया, जय गुरु घासीदास। जग मा लाये हच तँय बाबा, सुग्घर नवा उजास।।  करम धरम ला पोठ करे हस, बन महान तँय संत।  सुग्घर जग मा अपन चलाये, सत्य नाम के पन्त।।  मनखे मनखे एक बरोबर, सबके बनव हितेश।  भेद भाव ला छोड़ कहे तँय, सबला दे संदेश।।  बिना कर्म के कहाँ मिले फल, जैसे बिन गुरु ज्ञान।  कहे अंध विस्वासी झन बन, बनव सबो विद्वान।।  सादा जिनगी ला धरबे तँय, करबे सद व्यवहार।  छोड़ नशा ले दुरिहा कहिथस, रखबे उच्च विचार।। -हेमलाल साहू  छंद साधक सत्र-0१ ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के कुण्डलिया (राखी)

बहनी राखी ला धरै, मइके आय दुवार। भैया के मन भात हे, देवत मया दुलार।। देवत मया दुलार, हाथ मा पहिने राखी। नाता हे अनमोल, मया के बाँधे साखी।। दे दव रक्षा वचन, मान लव मोरो कहनी। लक्ष्मी बनके भाग्य, आय भाई घर बहनी।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के त्रिभंगी छंद (हे भारत माता)

हे भारत माता, भाग्य विधाता, तोर शरण मा, माथ नवे। झंडा फहराबो, जश्न मनाबो, शुभ दिन आये, आज हवे।। मन राखे चंगा, बन बजरंगा, वीर सिपाही, मोर रहें। भारत जयकारा, गूँजय नारा, भारतीय जय, जगत कहें।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

गुरु (हेम के कुण्डलिया)

 करलौ पहली वंदना, मानव जस भगवान। मिले ज्ञान गुरु बिन नहीं, धरलौ सुघ्घर ध्यान। धरलौ सुघ्घर ध्यान, सही रास्ता पकड़ाही। मन के इरखा फेक, सत्य के नाम जगाही।। कहय हेम कविराय, बात ला गुरु के सुनलौ। जिनगी ला दे तार, वंदना गुरु के करलौ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा छंद साधक, छंद के छ  सत्र -१

हेम के चौपाई छंद (कोरोना जागरूकता)

हेम के चौपाई छंद घर भीतर रह कहिथे मोना। घर बाहिर बइरी कोरोना।। करत हवय जे जादू टोना। नइहे हमला जिनगी खोना।। बहनी चुन्नी आव बिसाबो।  साबुन सेनिटाइजर लाबो। बारम्बार हाथ ला धोबो। कोरोना ला दूर भगाबो।। सुनले भैया तँय हर राजन। करव लॉक डाउन के पालन।। कहिथे शासन संग प्रसाशन। बढ़िया से घर मा हम राहन।। खाँसी सर्दी बुखार आवय। लक्षण कोरोना के हावय।। झटसे अस्पताल मा जावव। कोरोना के टेस्ट करावव।। सबसे दुरिहा रह ले राजू। दू गज रख के आजू बाजू।। सबला संगी आव जगाबो। कोरोना से हमन बचाबो।। -हेमलाल साहू  छंद साधक सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा

चौपाई छंद (गरमी)

आसो गरमी के दिन आगय। सुरुज देव आगी बरसावय।। खरी मंझनिया लू बरपावय। नोनी सबला बात बतावय।। डारा पाना सबो सुखावय। रोज झाँझ हर खूब जनावय। लकलक तीपत धरती हावय। चट चटाक पाँव जरत जावय।। रुख राई सबके मन भावय। जीव पेड़ छइहा सुस्तावय।। गरमी के दिन बैठ बितावय। ठण्डा ठण्डा बढ़िया लागय।। -हेमलाल साहू  छंद साधक सत्र-1 ग्राम- गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के कुंडलिया

विश्व महतारी भाखा दिवस के हार्दिक बधाइयां महतारी भाखा हरे, छत्तीसगढ़ी मोर। ननपन ले पायेंव मँय, दाई कोरा तोर।। दाई कोरा तोर, तही दे पहली आखर। मुख पोथी बन मोर, बनायें मोला साक्षर।। कहे हेम कविराय, तोर महिमा हे भारी। रखहूँ दाई मान, मोर भाखा महतारी।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-१ ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा जिला बेमेतरा (छ. ग)

हेम के कुण्डलिया

रोना रोवत आम जन, जबले बड़गे भाव। डीजल अउ पेड्रोल के, बाढ़े दाम चढ़ाव।। बाढ़े दाम चढ़ाव, देख मारत ऊँछाली। बढ़े जिनिस के दाम, जेब होवत हे खाली।। देखत हे सरकार, हवे जन ला अब ढोना। नेता बइठे शांत, आम जन रोवत रोना।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा जिला बेमेतरा (छ. ग.)

हेम के कुण्डलिया

जय हो माता शारदा, करव तोर गुणगान। सब्बो अवगुण दूर कर, दे दे हमला ज्ञान।। दे दे हमला ज्ञान, तोर जस ला मँय गावँव। मोर कंठ कर वास, ज्ञान ला सब्बो पावँव।। सुमिरत तोरे नाव, दूर मनके सब भय हो। करँव आरती तोर, शारदा माता जय हो।। - हेमलाल साहू ग्राम - गिधवा, पोस्ट नगधा जिला - बेमेतरा (छ. ग)

हेम के कुकुम्भ छंद

 हेम के कुकुम्भ छंद जय छत्तीसगढ़ मोर माटी, जग बर हावच वरदानी। सबले बढ़िया तोला कहिथे, तोरो हे गजब कहानी।। सब दुख पीरा तही हरैया, तोला सब माथ लगाथे। तोर शरण मा रहिके दाई, सुघ्घर जिनगी ल पहाथे।। तोर हवे ये भुइँया पावन, बसे देवता अउ धामी। गाँव गाँव माहामाया अउ, बसे राम अन्तर्यामी।। घर घर रामायण बाचत हे, बहे ज्ञान गंगा गीता। पावन हवे इहाँ के नारी, पूजे जस लक्ष्मी सीता।। बगरे हावय खनिज सम्पदा, देख इहाँ कोना कोना। हीरा मोती के खदान हे, भरे पड़े चाँदी अउ सोना।। कतको हावय बड़का बड़का, देखव इहाँ कारखाना। काम करे बाहर ले आवय, इहाँ बनावय ग ठिकाना।। देख कला संस्कृति ला सँजोय, पावन हवे तोर माटी। तोरच कोरा मा लइका मन, खेलय भँवरा अउ बाँटी।। रंग बिरंगी चिरई चिरगुन, जिनकर गुरतुर हे बोली। आनी बानी के जीव जन्तु, पाबे तँय टोली टोली।। नाचा गम्मत लोगन मनके, देख खूब मन ला भावे। सुवा ददरिया करमा पंथी, राग भरथरी जब गावे।। मातर मड़ई मेला बर जी, गाँव गाँव राउत जागे। नाच नाच के पारे दोहा, कतका सबला निक लागे।। धान चना गेहूँ उपजाथस, अउ उपजाथस उँनहारी। जय छत्तीसगढ़ मोर माटी, महिमा हवे तोर भारी।। सबले बढ़िया तोला कहिथे, तोरो

हेम के दोहे

हेम मोर हे नाव जी, गिधवा हावय गाँव। दया मया मिलथे जिहाँ, रुख राई के छाँव।। चिरई चिरगुन देखलव, सुनलव गुरतुर बोल। बढ़िया फुदकत देखके, लागय जी अनमोल।। पुरखा के खेती हवे, जिनगी के आधार। राम नाम के जाप ले, होबो भव ले पार।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा जिला बेमेतरा (छ. ग.)

हेम के दोहे

अलवा जलवा लेखनी, आखर ले अनजान। मइया जय हो शारदा, करहूँ तोर बखान।। तोर दिये आशीष ले, बढ़िस कलम के मान। मोर लेखनी मा बसे, अउ तहि दे पहचान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा जिला बेमेतरा (छ. ग.)