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मार्च, 2018 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

पकैया छंद (मितानी)

छन्न पकइया छन्न पकइया, बनही अमर कहानी। बाँधे राख  मया  के  रिस्ता, रखले मान  मितानी।। छन्न पकइया छन्न पकइया, मिलके  आगू  जाबो। सुख दुख मा रहिके सँगवारी, जिनगी साथ निभाबो। छ...

हेम के कुण्डलिया(बेटी)

बेटी घर के शान ये, देवव मया दुलार। लक्ष्मी दुर्गा अउ हरे, सीता के अवतार।। सीता के अवतार, मान बेटी के राखव। देवव गा सम्मान, भेद भाव झने मानव।। कहे हेम कविराय, धरे सुख के जी पेटी। ...

हेम के कुण्डलिया

दाई   बाबू   मोर   हे,  चारो   तीरथ  धाम। रोजे साँझ बिहान गा, जेकर  जपथौ नाम। जेकर जपथौ नाम, करँव मयँ हर जी पूजा। मानव  मयँ  भगवान, अऊ  नइ हावे दूजा। कहत  हेम  कविराय, बात  मानव...

(*त्रिभंगी छंद*) नारी

सबके महतारी, जग मा नारी, ओकर मयँ नित, मान रखवँ। हे राज दुलारी, सबके प्यारी, जेकर मयँ नित, गान करवँ।। कहिथे जग तरनी, विपदा हरनी, जेहर महिमा, सार हवय। नित आगू जावय, नाम कमावय, जग के ओह...