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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

छत्तीसगढ़ के रंग(हेम के दोहे)

कोरबा ऊर्जा के नगरी हवे, रखे अलग पहिचान। सबला दे अंजोर गा, नाव कोरबा जान।। आवव देखव कोयला, करिया हीरा खान। बड़े कारखाना चलै, देखव ओकर शान।। बिलासपुर न्याय राजधानी बसे, रहिस बिलासा गाँव। मिलथे सबला न्याय हा, बिलासपुर हे नाव।। केवटिन ओ नारी सती, आय बिलासा जान। लाज बचाये बर अपन, ओ गवाइस परान।। रइपुर हमर राजधानी हरे, देखव ओखर शान। रंग भरे जग के हवे, रइपुर ला पहिचान।। आनी बानी बोल हे, किसम किसम के लोग। मानव के माया नगर, अपन दिखावय योग।। मारो मान सिंह राजा रहे, किल्ला जेकर आन। सुग्घर हावय आज भी, मारो गढ़ के शान।। भारी बड़का गढ़ रहे, रखे अलग पहिचान। देख समे बलवान हे, खोइस ओकर मान।। कांकेर तपोभूमि ऋषि कंक के, हरे पहाड़ी धाम। दाई    हे  कांकेश्वरी,   पूरन  करथे  काम।।   धरम देव राजा रहे, सिंह बनाय दुवार। कंडरा रक्छा ला करे, दुश्मन जावे हार।। हे सोनाई रूपई, सुघ्घर तरिया जान। राजा के बेटी इहे त्यागिस हवे परान।। ए सुक्खा होवय नहीँ, जेकर हे परमान।। आधा पानी सोन गा, आधा चाँदी जान। बस्तर आवव बस्तर देख लव, जंगल झाड़ी आय। हरियर हरियर देख लव, कुदरत रंग भराय।। देख आदिवासी हवे, हमर इहाँ के शान। भोला भाला सादगी,

बारव दीया (हेम के दोहे)

बारव दीया प्रेम के, सुघ्घर कर के दान। हवे महीना धर्म के, आही घर भगवान।। आत्मा बिन काया नहीँ, इही जगत के सार। दीया बाती तेल मिल, करै जगत उजियार।। माटी के दियना जले, जगत होय अंजोर। जिनगी के बाती जले, तेल रहत ले मोर।। आगे धनतेरस हवय, दीया ला घर बार। लछमी दाई संग मा, लाय नवा उजियार।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

@चीला रोटी@

हावे छत्तीसगढ़ के, चीला रोटी शान। खाके तैहा देखबे, तब पाबे पहिचान।। चक्का जइसे गोल हे, रहिथे छेद मितान। सोंहारी तो नइ हरे, एकर कर पहिचान।। आय नहीँ गेंहू बता, चाँउर आय पिसान। चाँउर ला पिसके हवै, एला बनाय जान।। बनही चीला आज गा, आये घर के आन। नोनी अउ बाबू सबो, एला खावय जान।। भउजी चूल्हा बारके, पिसान देवय घोर। जइसे तावा हा तिपय, डाले चारो ओर।। ढकनी देवय तोप गा, बने फेर सेकाय। सुघ्घर चीला हा बने, मुँह मा पानी आय।। अड़बड़ रहिथे स्वाद हा, एला सबो बनाय। चटनी संग पताल के, माँग माँग सब खाय।। -हेमलाल साहू ग्राम- गिधवा, पोस्ट- नगधा तहसील -नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. नं.- 9977831273