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अप्रैल, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आवव संगी

आवव संगी मिलके करबोन काम। छत्तीसगढ़ माटी के बढ़ाबोन नाव।। मिलके करबोन हमन अइसन काम। रही देश दुनिया मा हमरो गा नाव। आवव संगी............ छत्तीसगढ़ भुईया मा करबोन काम। बनाबोन संगी सरग जइसन गांव।। बेटी बेटा ला पढ़ाये के करबो काम। पढ़े लिखे शिक्षित हमरो रही गांव। आवव संगी................. अपन धरोहर के करबोन सम्मान। देश दुनिया मा सदा रही गा नाव। हवे सदा गा माटी के मोरे किसान। परथे जेह सदा भुईया दाई के पाव। आवव संगी.............

हेम के दोहे

भुइँया हर कतका जरे, फेकत हावे भाप। सूरज उगले आग ला, गरमी मा दे झाप।। सबो डहर गरमी बढ़े, जरथे भारी पाँव। जीव सबो खोजत हवे, कौन मेर हे ठाँव।। तरिया नदिया सूख गे, नइहे एको बूँद। सबो जीव तरसे इहाँ, खोजत आँखी मूँद।। मनखे मन समझे नहीं, रुख राई ला काँट। मिले नहीं अब छाँव हर, कउनो रद्दा बाँट।। कहना मोरो मानलव, लगाबोन रुख आँव। सुख से गाड़ी हर चले, मिलही सबला छाँव।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

गरमी (हेम के चौपाई छंद)

ऐदे गरमी के दिन आगय। सबो डहर ये घाम जनावय। झांझ म तन हर लेसावय। देख पसीना हर चुचवावय। रूख राई के छाँव सिरागय। भुइँया मा दर्रा हा फाटय। पानी बिन जीव सबो रोवय। काम बिना पानी नइ होवय। नदिया नरवा सबो सुखागय। देख घाम ला जी थर्रागय। घाम नहीं कउनो ला भावय। भुइँया देख जरत बड़ हावय। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

बदलाव नवा लाबोन

चल संगी बदलाव नवा लाबोन। चल संगी नवयुवक ल जगाबोन।। नवा जवाना के नवा रद्दा ला। चल संगी हमन हा दिखाबोन ।। चल संगी ............. पढ़बो लिखबो अऊ हमन पढ़ाबोन। सुघ्घर पढ़ा लिखा के जगाबोन।। देश ला जागरूक अपन बनाबोन। शिक्षित समाज ला हमन लाबोन।। चल संगी................ मया दया के भाव सदा राखबोन। मिलके रद्दा मा अपन चलबोन।। झन गढ़य ककरो पाव मा काँटा। अइसन रद्दा ला अपन बनाबोन।। चल संगी............... जतन अपन माटी के करबोन। अपन बोली भाखा ला बोलबोन।। छत्तीसगढ़ के किसनहा माटी मा । चल संगी हमन सरग ला बनाबोन।। चल संगी.....................

जेवारा

जेवारा नवदिन बर आगे हवय, देख नवरात तोर। जेवारा बोयेव घर, मात बिराजव मोर।। जेवारा दाई हवय, नवदिन घर मा मोर। सेवा दाई के करव, भक्ति भाव ला जोर।। पान फूल नरियर धरे, हाथ चढ़ाये जोर। सदा रहे आशीष हा, देवव दाई तोर।। अड़हा गरीब मे हवव, सेवा ल करव तोर। भूल चूक माफ करहव, जोरेव हाथ जोर।। हेमलाल साहू

जय गुरु घसीदास

जय गुरु घासीदास बाबा जय जय हो गुरु घासीदास। तोरे शरन आयेव बाबा तोरे चरन मा तोरे पास। तोरे महिमा ला बाबा गायेव तोरे महिमा ला सुनायेव। सुने हव बाबा तोर महिमा हावे जग मा गा भारी। अड़हा बइला ला बाबा बनाये बाबा गुनकारी। महू हवव निचट अनारी महू ला बनादे गुनकारी। जय गुरु .................. छाता पहाड़ में बैठ के बाबा तै धुनी ला रमाय। अवरा धवरा पेड़ मेर बाबा ज्ञान ला तै पाये महू हवव अनपढ़ अज्ञानी महू ला बना दे बाबा ज्ञानी जय गुरु .............................. मरे मनखे मा बाबा तैहा प्रान के दीपक जलाये बन मा रहिके बाबा तैहा शेर भालू ल साथी बनाये जय गुरु.................... सत्य के रद्दा में चलके बाबा तैय ज्ञान ला पाये। सत्य के नाम ला बाबा तैय हा जग में फैलाय सतनाम धरम के पंत ला बाबा तैय जग मा चलाये जय गुरु….................. -हेमलाल साहू

होली तिहार (हेम के दोहे)

होली देख तिहार ला, सब्बो गाँव मनाय। लिपे पुते घर मन हवे, सुघ्घर रौनक लाय।। फागुन के महिना हवे, होली आय तिहार। दहन होलिका बाद ही, खुशियाँ दे भरमार।। सच के रद्दा मा चले, होय नही जी हार। सुरता कर पहलाद ला, सच रद्दा के सार।। होली हर आगे हवे,  उड़थे रंग गुलाल। जगा जगा मा देख ले, बजे नगाड़ा ताल।। फाग गीत ला गात हे, नाचत हावय यार। संगी साथी मिल बने, हवे मनात तिहार।। घर घर जाके चल बने, लगाबोन जी रंग। मिलही आशीर्वाद हा, छोट बड़े के संग।। मया दया के भाव धर, रंग लगा ले गाल। धरती के बेटा हरन, उड़ाबोन ग गुलाल।। सुघ्घर होली रंग हे, देख देख मन भाय। ये होली के रंग मा, जम्मो झन पोताय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

मेचका मेचकी( हेम के दोहे)

कहिस मेचका मेचकी, चल जाबो बाजार। घर ले धर झोला चले, बैठ साइकिल यार।। देख साइकिल ला चाल, जावत हावय हाट। ट्रीन ट्रीन घण्ठी बजय, मनखे देखय बाँट।। कहे मेचका तँय देख जी, मोरो एक कमाल। हावँव अस्सी साल के, नइ हव फेर अलाल।। कहिस मेचकी धीर ले, चला मेचका मोर। जाबो कोनो मेर गिर, लग जाही जी थोर।। देख मेचका मेचकी, जल्दी पहुँचे हाट। हवे मेचकी मेचका, खूब ठाठ अउ बाट।। करिस मेचका मेचकी, खूब घूम बाजार। लागय संगी भूख ता,  खावय मुर्रा यार।। दूनो कतको चीज लिस, खाये बर सम्मान। नाती बर खाऊ धरिस, आइस दूनो जान।। थके मेचका हा रहे, पैडल ना चल पाय। देख साइकिल बाँट मा, बड़ भारी डोलाय। देख डोकरी डोकरा, दूनो गिरे उतान। कहिस मेचका मेचकी, होंगेन बुढ़ा जान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)