कहिस मेचका मेचकी, चल जाबो बाजार। घर ले धर झोला चले, बैठ साइकिल यार।। देख साइकिल ला चाल, जावत हावय हाट। ट्रीन ट्रीन घण्ठी बजय, मनखे देखय बाँट।। कहे मेचका तँय देख जी, मोरो एक कमाल। हावँव अस्सी साल के, नइ हव फेर अलाल।। कहिस मेचकी धीर ले, चला मेचका मोर। जाबो कोनो मेर गिर, लग जाही जी थोर।। देख मेचका मेचकी, जल्दी पहुँचे हाट। हवे मेचकी मेचका, खूब ठाठ अउ बाट।। करिस मेचका मेचकी, खूब घूम बाजार। लागय संगी भूख ता, खावय मुर्रा यार।। दूनो कतको चीज लिस, खाये बर सम्मान। नाती बर खाऊ धरिस, आइस दूनो जान।। थके मेचका हा रहे, पैडल ना चल पाय। देख साइकिल बाँट मा, बड़ भारी डोलाय। देख डोकरी डोकरा, दूनो गिरे उतान। कहिस मेचका मेचकी, होंगेन बुढ़ा जान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)