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मोर माटी

छत्तीसगढ़ी मा करवँ, मँय जिनगी भर गोठ। मोर बढ़े नित ज्ञान हाँ, होवय भाखा पोठ।। मोर माटी मोर हावय, देख ले अभिमान रे। मोर जिनगी बर बने हे, आज जे वरदान रे।। देख करथौ गान ला मँय, नित धरे मन राग रे। नाम जेकर जाप करथौ, मोर जागय भाग रे।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

सरसी छंद (गीत- मोर मया के)

मोर मया केे सुनले गोरी, तँय हर दिल के बात। तोर मया के छीन छीन ओ, सुरता मोला आत।। जनम जनम के नाता हावे, मन हर गावे गीत। तोर मोर ओ सदा सदा ले, जग मा रइही प्रीत। गुस्सा करके मोला सजनी, तँय काबर तड़पात। तोर द्वार मा लेके जाहू,  मयँ हर अपन बरात।1। मोर मया केे ……....... रही रही के मोबाइल मा, मोर हाथ हा जात। तोला देखें बर मोरे मन, कइसन हे अकुलात। तोर सुरतिया हा आँखी मा, आके बड़ तरसात। राख मया ला दिल मा गोरी, काबर हवस भगात।2। मोर मया केे ……....... गुरतुर बोली तोरे सुघ्घर, दिल ला मोरे भाय। रोज तोर ओ सुरता करके, आँसू मोर बहाय।। जोहत रहिथव तोला मँय हर, दिन होवय या रात। तोर पाँव के पैरी बाजय, सुन मन हा हरषात।3। मोर मया केे ……....... मोला बड़ तो आस हवय ओ, आबे मोरे संग। गुस्सा ला तँय अपन छोड़के, जिनगी भर दे रंग। रद्दा देखव घड़ी घड़ी मँय, जिनगी ला पहवात। मोला दाना पानी कुछु भी, अब नइ हवे सुहात।4। मोर मया केे ……....... -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा