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हेम के दोहे

मनखे मनखे एक हन, काबर करथच भेद। जात पात ला देख के, तोला काबर खेद।1। गाँव शहर सब एक हो, जात पात ला छोड़।। भाई चारा ला  बढ़ा,  सबसे  नाता  जोड़।2। करथे देश समाज ला, देखव नशा उजाड़। नशा नाश के जड़ हवे, एला फेक उखाड़।3। बेटी घलोक कम नहीं, झन रख मन मा धोख। बेटी  बेटा  एक  हे,  मरवा  झन  तँय  कोख।4। सोच समझ अच्छा बुरा, सत रस्ता अपनाव। देख परक के देश मा, मुखिया ला चुन लाव।5। गाँव शहर मिलके सबो, शिक्षा ला बगराव। सुम्मत के रस्ता बना, भोर नवा ले आव।6। जिनगी के दिन चार हे, सब बर हे अनमोल। मन के कड़ुवा फेक के, गुरतुर बोली बोल।7। सबला मानिस एक हे, बाँट मया के खीर। बाबा घासीदास हो, या हो संत कबीर।8। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा