मनखे मनखे एक हन, काबर करथच भेद। जात पात ला देख के, तोला काबर खेद।1। गाँव शहर सब एक हो, जात पात ला छोड़।। भाई चारा ला बढ़ा, सबसे नाता जोड़।2। करथे देश समाज ला, देखव नशा उजाड़। नशा नाश ...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।