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दिसंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

*अरविंद सवैया*

1) मनखे मन काँटिच हे बन ला, टँगिया हँसिया धरके हर साल। निमगा पुरवा नइ पावच गा, बनगे जिनगी बर ओहर काल। तरिया नदिया डबरा पटगे, पनिया बिन रोवत हे सब ताल। बढ़िया रुखवा ल लगा बन मा, जिनग...

*(सुन्दरी सवैया छन्द)*

1) सुनके रहिबे गुनके चलबे, तबतो बढ़िया जगमें रहि पाबे। चल जाँगर पेर बने कसके ,नइ तो जिनगी भर गा पछताबे। करले तँय दान दया बढ़िया, सुन ले भइया बड़ पुण्य कमाबे । जपले मनमा हरि नाम बने, त...

*शक्ति छन्द*  

1) बने साफ हो जी गली खोर हा। तभे गाँव आही ग अंजोर हा। रहे गाँव मा जी सदा रीत हा । बसे हे घरो घर मया प्रीत हा। 2) मया ले मया दे, रहे मीत हा। बहे धार चारो, डहर प्रीत हा। दया राख मनमा, कहे र...