मन के आपा ला तँय खोल। सुघ्घर गुरतुर बोली बोल। मन ला पहली अपन टटोल। बढ़िया अमरित बानी घोल।। मया दया ला सुघ्घर राख। सत रद्दा के रखले साख। दान धरम ला करले पोठ। मया दया के करके गोठ।। धरम करम ला संगी जान। सरग नरग हावय तँय मान। काम पूण्य के करव मितान। मिलही तोला जी भगवान।। - हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।