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फ़रवरी, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

मन के आपा खोल (हेम के चौपई छंद)

मन के आपा ला तँय खोल। सुघ्घर गुरतुर बोली बोल। मन ला पहली अपन टटोल। बढ़िया अमरित बानी घोल।। मया दया ला सुघ्घर राख। सत रद्दा के रखले साख। दान धरम ला करले पोठ। मया दया के करके गोठ।। धरम करम ला संगी जान। सरग नरग हावय तँय मान। काम पूण्य के करव मितान। मिलही तोला जी भगवान।। - हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

शराब (हेम के कज्जल छंद)

झन पीयव भैया शराब। बात मान ले गा जनाब। हो जाथे तन मन खराब। पीये के झन राख ख्वाब। गोड़ देख ले लड़खड़ात। मुँह ले निकले अबड़ बात। करजा हावय जी लदात।  गारी जन ले हवय खात। करथे नित गोहार हेम। करले भैया जगत प्रेम। दारू के तँय छोड़ नेम। खुशियाँ रइही सबो टेम। - हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

सबले बढ़िया(हेम के सरसी छंद)

सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया, इही तोर पहचान। खेत खार के सेवा करथस, कहिथे जगत किसान।। माटी के पूजा ला करथस, माटी करत बखान। भुइँया हे भगवान तोर गा, बइला हवय मितान।। सीधा साधा भोला भाला, सादा हवय लिवाज। धरती के सेवा ल बजावत, करथस रोजे काज।। किसम किसम के चिरई चुरगुन, रुख राई अउ झाड़। लागय अड़बड़ हमला निक गा, बड़का छोट पहाड़।। सुघ्घर नदिया नरवा हावे, बहिथे निरमल धार। पानी मा मिठास बड़ हावय,  पी ले बारम्बार।। भरे अन्न के भंडार हवे, जग ला करथे दान। मया दया के भुइँया हावे, बसे इहाँ भगवान।। छत्तीसगढ़ी गुरतुर बोली, सुघ्घर लागय गोठ। बड़ सुघ्घर हे मोरो भाखा, हावय सबले पोठ।। जियत मरत ले गुण ला गाथे, माटी करत प्रणाम। सबले बढ़िया छत्तीसगढ़िया, जपे जिहाँ प्रभु राम।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

चल रे संगी

चल रे संगी चल रे साथी। बनके दुश्मन बर तँय हाथी। अपन करम मा किस्मत गढ़बो। सुघ्घर सत के रस्ता चढ़बो। जतन ददा दाई के करबो। गुरु के बताय रद्दा चलबो। कठिन साँच के रद्दा हावय। करम करइया के मन भावय।। सच के रद्दा सरग दिखावय। नरक पाप के रद्दा जावय। चले करम के लेखा जोखा। मिलथे फल हर सबला चोखा।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

माटी(हेम के दोहे)

माटी मिलके तन बने, जिनगी इहे पहाय। माटी के सेवा करत, सुघ्घर भाग जगाय।। जियत मरत ले मँय सदा, माटी माथ लगाव। जनम जनम के साथ हे, माटी ला अपनाव।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

दोगला ( हेम के दोहे)

लाठी हा ताकत हवे, पइसा हा अभिमान। राज करत हे दोगला, बनके जस शैतान।। लबरा के आदर हवे, उहि हर पूजे जाय। कलजुग के दुनिया हवे, पापी नाँव कमाय।। मिलथे पैसा झूठ मा, सच बोले मा मार। मिले नहीं मनखे सही, ढूंढत रह संसार।। सीधा रुख काँटे सबे, छोड़ टेड़गा जाय। देख सीधवा हा कहे, राज दोगला आय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

हे मोर महामाया दाई

हे मोर महामाया दाई। सुन ले तैहा पुकार माई।। गोहार लगावत हव दाई। सुन ले अरज मोर माई।। तही मोर महतारी दाई। रक्छा करव हे मोर माई।। मोर आँसू  पोछ दे दाई। दुःख पीरा उबार माई।। पापी अज्ञानी हवव दाई। तोरे सरन आयेव माई।। बल, बुध्दि ल दे देवव दाई। मोला जग तारव हे माई।।

मँय छत्तीसगढ़िया आँव

होत बिहनिया उठके भइया, रामे नाँव जपइया आँव। उठती बेरा के पाँव परइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। मँय खाँटी किसान के बेटा, भुइँया जतन करइया आँव। दुनिया के पालन ल करइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। बासी चटनी नून खवइया, नित जाँगर पेरइया आँव। सीधा साधा भोला भाला, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। मया दया के गोठ करइया, निक बानी बोलइया आँव। दाई बाबू के रोज कहइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। इहि माटी मा सदा रहइया, धरती गान करइया आँव। दान धरम के करम करइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। चिरई चुरगुन मोर संगवारी, माटी मान बढ़इया आँव। सुख दुख मा सँग के देवइया, मँय छत्तीसगढ़िया आँव।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

दोगला राज (हेम के कज्जल छंद)

करत दोगला इहाँ राज।  दू नम्बर कर रुपया गाज। उनला नइहे सरम लाज। सबो डहर दोगला काज। शासन के हे बँधे डोर। बीन सबूत न मिले चोर। घूमत हावय गली खोर। न्याय अंधरा हवय मोर। देख बने चलबे सियान। बनके रहिथे बड़ महान। धोखा झन रहिबे मितान। लूट खात हे बईमान। झूट बने सच गा मितान। होवत सच हा झूठ जान। इहाँ सही के न पहचान। सत्ता हर हवय भगवान। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)