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हेम के कुण्डलिया (राखी)

बहनी राखी ला धरै, मइके आय दुवार। भैया के मन भात हे, देवत मया दुलार।। देवत मया दुलार, हाथ मा पहिने राखी। नाता हे अनमोल, मया के बाँधे साखी।। दे दव रक्षा वचन, मान लव मोरो कहनी। लक्ष्मी बनके भाग्य, आय भाई घर बहनी।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा

हेम के त्रिभंगी छंद (हे भारत माता)

हे भारत माता, भाग्य विधाता, तोर शरण मा, माथ नवे। झंडा फहराबो, जश्न मनाबो, शुभ दिन आये, आज हवे।। मन राखे चंगा, बन बजरंगा, वीर सिपाही, मोर रहें। भारत जयकारा, गूँजय नारा, भारतीय जय, जगत कहें।। -हेमलाल साहू छंद साधक, सत्र-1  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा