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जनवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के कुण्डलिया

जाड़ा आगे दिन हा जाड़ के, सबके मन ला भाय। ओढ़व चादर साल ला, सुघ्घर जाड़ा आय।। सुघ्घर जाड़ा आय, बनालव बढ़िया सेहत। तन मन होवय पोठ, मजा जाड़ा के लेवत।। तापव भूरी बारके, जाड़  हा  जावय  भाग...

गाँव (उल्लाला छंद)

सुघ्घर हावे गाँव हा, मिलै मया के छाँव हा। खेत खार के ठाँव हे , गिधवा मोरे गाँव हे।। चिरई चिरगुन हा रहै, बोल मया के ओ कहै। नवरा नदिया हा भरै, झरझर झरझर ओ करै।। रुख राई हरियर रहै, निर...

पुतरी पुतरा (रोला छन्द)

करथे लीला देख, बना के हमला पुतरी। लीलाधर के हाथ, रहै लगाम के सुतरी।। माया के ए जाल, देख नइ पाये आँखी। हावे आत्मा अमर, भरै बिद्या के साखी।। सुघ्घर खेलन खेल, रहै  भइया  ठठ्ठा  के। ...

माया (उल्लाला छंद )

मन अपने  काबू रहै, बड़े  बड़े  ज्ञानी कहै। सबो डहर बइरी खड़ै, भाई से भाई लड़ै।। मन मा माया हा भरै, मानव  ओकर  से परै। फइले माया जाल हा, देखत हावय काल हा। फसगे मनखे भोग मा, छुटकारा ना रोग मा। हावे आत्मा अमर गा, जानव माया जहर गा।। मन के आँखी खोल ले, मया प्रीत ला बोल ले। मन के माया छोड़ ले, जग से नाता जोड़ ले।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

सुरता(रोला छन्द)

बाँधे  गठरी  खोल, धराये  जेमा  सुरता।। लमा मया ला तोर, रहै जेमा मन सुमता।। हाँसी खुसी रहाय,  मया के बोहय गंगा। सुरता मा बल आय, होय संगी मन चंगा।। कुदरत के ए रंग, रहै  भुइँया  मा ...

हेम के रोला छन्द

जगत जानही जान, छंद ला छत्तीसगढ़ी। रखही जम्मो मान, छंद के तो नाव बढ़ी।। पूरा सपना होय, एकदिन जग हा जानय। भाव मया के राख, छन्द के भागे जागय।। रीत नवा ला देख, बफा सिस्टम हा आये। मनखे ब...

मेला (रोला छन्द)

सुन हल्दी बाजार, रहिस राउत के मेला। आनी बानी देख, आय रहिस इहाँ  ठेला।। किसम किसम के लोग, रहिस हे रेलम पेला। लेके खाये हवन, सेव बरफी अउ केला।। सुघ्घर सजगे हवय, देख आसो के मेला। ज...

टेटका(रोला छन्द)

पींयर हरियर लाल, रंग बदलत हे काया। कुदरत  के  ए संग, टेटका के  हे माया।। चाल बाज ए होय, सबो ला ए बिजराथे। कुदरत के उपहार, मुड़ी ला ए मटकाथे।। फेर आज ला देख, टेटका बनगे  नेता। बदलत ...

बनव जगत के अंजोर(आल्हा छन्द)

भूतह भागे बइरी काँपै, भगत काल काली के आँव। मारव पापी पारव काठी, का बचॉव अउ काला खाँव। मनखे रोवत हावय भोगत, अपन करम के पाये भाग। जइसन बोवत तइसन पावत, जिनगी मा नइ पाये जाग।। रखै क...

छेरी (रोला छन्द)

लबलबही तो होय, जन्म के जानव छेरी। चरके कतको आय, जाय फिर घेरी बेरी। तीन रंग के होय, सफेद खैर अउ कारी। आँखी जेकर तेज, बोल  मैं  मै के भारी।। आमदनी हा बढ़य, करव पालन जी छेरी। बढ़िया सा...