जाड़ा आगे दिन हा जाड़ के, सबके मन ला भाय। ओढ़व चादर साल ला, सुघ्घर जाड़ा आय।। सुघ्घर जाड़ा आय, बनालव बढ़िया सेहत। तन मन होवय पोठ, मजा जाड़ा के लेवत।। तापव भूरी बारके, जाड़ हा जावय भाग...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।