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हेम के कुण्डलिया

जाड़ा आगे दिन हा जाड़ के, सबके मन ला भाय। ओढ़व चादर साल ला, सुघ्घर जाड़ा आय।। सुघ्घर जाड़ा आय, बनालव बढ़िया सेहत। तन मन होवय पोठ, मजा जाड़ा के लेवत।। तापव भूरी बारके, जाड़  हा  जावय  भागे। काँपत हाथे गोड़ हा, जाड़ के दिन हा आगे।। औंधी जावय  राहर  ला  रखै, मिलके  संझा बेर। दूसर के  ला  ओ करै,  खूब हेर अउ फेर।। खूब हेर अउ फेर,  टोर  राहर  ला  लावय। औंधी ऊसन खात, मजा मौसम के हावय।। ताकत हे रखवार, चोर  ला  नइ तो  पावय। लइका अऊ सियान, रखै ला राहर जावय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

गाँव (उल्लाला छंद)

सुघ्घर हावे गाँव हा, मिलै मया के छाँव हा। खेत खार के ठाँव हे , गिधवा मोरे गाँव हे।। चिरई चिरगुन हा रहै, बोल मया के ओ कहै। नवरा नदिया हा भरै, झरझर झरझर ओ करै।। रुख राई हरियर रहै, निरमल पुरवइया बहै। सबो डहर ए गाँव हे, बर पीपर के छाँव हे।। पहुना हे भगवान गा, रहिथे जिहाँ किसान गा। बइला हवै मितान गा, गइया मात समान गा।। सुरता आथे गाँव हा, जिहाँ मिलै ए नाँव हा। गोठ करत ए हेम गा, रखव गाँव बर प्रेम गा।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

पुतरी पुतरा (रोला छन्द)

करथे लीला देख, बना के हमला पुतरी। लीलाधर के हाथ, रहै लगाम के सुतरी।। माया के ए जाल, देख नइ पाये आँखी। हावे आत्मा अमर, भरै बिद्या के साखी।। सुघ्घर खेलन खेल, रहै  भइया  ठठ्ठा  के। संगी साथी साथ, सबो  पुतरी   पुतरा के।। आगे मोला समझ, बने जिनगी आत्मा के। आथे बचपन याद, बने  पुतरा  कुरता के।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

माया (उल्लाला छंद )

मन अपने  काबू रहै, बड़े  बड़े  ज्ञानी कहै। सबो डहर बइरी खड़ै, भाई से भाई लड़ै।। मन मा माया हा भरै, मानव  ओकर  से परै। फइले माया जाल हा, देखत हावय काल हा। फसगे मनखे भोग मा, छुटकारा ना रोग मा। हावे आत्मा अमर गा, जानव माया जहर गा।। मन के आँखी खोल ले, मया प्रीत ला बोल ले। मन के माया छोड़ ले, जग से नाता जोड़ ले।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

सुरता(रोला छन्द)

बाँधे  गठरी  खोल, धराये  जेमा  सुरता।। लमा मया ला तोर, रहै जेमा मन सुमता।। हाँसी खुसी रहाय,  मया के बोहय गंगा। सुरता मा बल आय, होय संगी मन चंगा।। कुदरत के ए रंग, रहै  भुइँया  मा हरियर। अहंकार ला छोड़, होय मन तोरे फरियर।। मया सबो बर राख, बाँध ले मन के सुमता। माटी  केे  ए संग,  हवै जिनगी  के  सुरता।। सुरता  हावय आज, हमर  दाई  के  लोरी। जेमा हवय  बँधाय, मया के  सुघ्घर  डोरी।। बइठन मिलके एक, सबो झन छोरा छोरी। देवय दाई सीख, सुना के  किस्सा  लोरी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

हेम के रोला छन्द

जगत जानही जान, छंद ला छत्तीसगढ़ी। रखही जम्मो मान, छंद के तो नाव बढ़ी।। पूरा सपना होय, एकदिन जग हा जानय। भाव मया के राख, छन्द के भागे जागय।। रीत नवा ला देख, बफा सिस्टम हा आये। मनखे बनगे कुकुर, देख घूम घूम के खाये।। भुलगे पंगत देख, विदेश  रीत  ला  लाये। जुन्ना संस्कृति हमर, सबो हा देख धराये।। भैया करहू माफ, हेम करत हवै अरजी। मनके हावव साफ, फेर नो हव में फरजी।। गलती  होइस  मोर, आँव  भाई  में  तोरे। में देखत रहिगेव, दांत ला अपन  निपोरे।। बढ़िया सोच बिचार, ममन चिंतन कर भाया। जिनगी हावय गणित, सीख ले एकर माया।। गुना भाग के खेल,  पून्य  जोर  अपन संगी। हवय  मेहनत   सार,  दूर   होवय  सब  तंगी।। बासी चटनी नून, सुनव गावत हव गरिमा। सेहत के हे राज, देख खाके जी महिमा।। हवै नसीहत सुनव, हेम हा सबला देवत। खावव भैया खूब, बनय बढ़िया गा सेहत।। बइला गाड़ी चलय, धान बोझा ह भराये। आगू हवय किसान, किसानी गीत ल गाये।। लाली  अऊ  सफेद, दुनो बइला हे साथी। बइला जाँगर देख,  फ़ैल बड़े बड़े हाथी।। नया साल के रंग, दू  हजार आय सतरा। सोला भागे भाग, सबो टलगे अब खतरा।। मिलने साहित्यकार, होइस हे तुर्री धामे।

मेला (रोला छन्द)

सुन हल्दी बाजार, रहिस राउत के मेला। आनी बानी देख, आय रहिस इहाँ  ठेला।। किसम किसम के लोग, रहिस हे रेलम पेला। लेके खाये हवन, सेव बरफी अउ केला।। सुघ्घर सजगे हवय, देख आसो के मेला। जाबो मेला हमन, चढ़ाबो नरियर भेला।। पाबो हम आशीष, टेकबो माथा अँगना। दाई करबे  सफल, मोर पूरा हो सपना।। जिनगी मेला हवय, झाँक के देखव संगी। अंतर दरशन करव, होय मन तोरे चंगी।। सुख दुख हावे खेल, देख तोरे जिंनगी के। मन ला अपने ठान, मया रखले संगी के।। देखव  मेला  रंग, सबो  डहर  हवै छाये। लइका मन के संग, बबा हा सुग्घर जाये।। गात प्रेम के गीत, मया ला  सुघ्घर धरके। नाती ला देखाय,  बबा मेला  ला घुमके।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

टेटका(रोला छन्द)

पींयर हरियर लाल, रंग बदलत हे काया। कुदरत  के  ए संग, टेटका के  हे माया।। चाल बाज ए होय, सबो ला ए बिजराथे। कुदरत के उपहार, मुड़ी ला ए मटकाथे।। फेर आज ला देख, टेटका बनगे  नेता। बदलत हावे रंग, पकड़ नई आय बेटा।। झूठ लबारी बोल, देख  करथे  ए वादा। चोला पहिर सफेद, बनै ए पंडित सादा। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील  नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

बनव जगत के अंजोर(आल्हा छन्द)

भूतह भागे बइरी काँपै, भगत काल काली के आँव। मारव पापी पारव काठी, का बचॉव अउ काला खाँव। मनखे रोवत हावय भोगत, अपन करम के पाये भाग। जइसन बोवत तइसन पावत, जिनगी मा नइ पाये जाग।। रखै कपट ला काबर मन मा,  देख आज के सब  इंसान। अपने खोवत अपने पावत, जगत नई पाइस पहचान।। फसगे हे माया मा मनखे, देवय ओला कोन बताय। ए अमर हवै आत्मा भैया, कइसे मनखे समझ न पाय।। नहा पून्य के तँय गंगा मा,  होवय जी मन चंगा तोर। जिनगी ला जानव भैया हो, बनव जगत के तुम अंजोर।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, 9977831273

छेरी (रोला छन्द)

लबलबही तो होय, जन्म के जानव छेरी। चरके कतको आय, जाय फिर घेरी बेरी। तीन रंग के होय, सफेद खैर अउ कारी। आँखी जेकर तेज, बोल  मैं  मै के भारी।। आमदनी हा बढ़य, करव पालन जी छेरी। बढ़िया साधन आय, करव झन भैया देरी।। छेरी  करव  व्यपार,  माँग  एकर  हे भारी। काँटव  चाँदी  रोज, पाल के  छेरी  कारी।। छेरी जेकर द्वार , भाग  जागे जी  ओकर। दूध माँस के संग, मिलै  आमदनी ओवर।। एक  ठने  इक्कीस, होय घर मा जी छेरी। करय  गरीबी  दूर, बचत के हावय फेरी।। छेरी घर  में राख, हवै भैया उपयोगी। देख दूध अउ मूत, काम लेवय हर रोगी।। ताकत  देवय  दूध, मूत से घाँवे मिटथे। छेड़ी लेड़ी जाय, खेत मा ऊपज बढ़थे।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273