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हेम के कुंडलिया


आँखी भारत देश ला,   झन तँय  देखा चीन।
जन्म जात के दोगला,   हावस तँय गुण-हीन।
हावस  तँय  गुण-हीन,  परे हे  चाल म  कीड़ा।
हमर  देश  के  शान,   तोर  बर  हावय  पीड़ा।
गिरबे  मुड़  के  भार,   हवय  डेना  ना  पाँखी।
झन तँय उड़ आगास, दिखाके हमला आँखी।1।

करथस छुपके पीठ मा, रतिहा कन तँय वॉर।
हवस हरामी चीन तँय,   जाबे   हरदम   हार।
जाबे हरदम हार,  छोड़ तँय  अपन अनैतिक।
रखथे हिम्मत पोठ,  हमर  भारत  के सैनिक।
सबो देश कन बैर,  चीन  तँय काबर रखथस।
जीत कभू नइ पास,  तभो लड़ई ला करथस।2।

आनी बानी खात हव, जीव मार के रोज।
कुकर बिलाई बेंदरा,  साँप डेरु केे  गोज।
साँप डेरु के गोज, हवव  कतका पापी रे।
होय प्रकृति हा नाश, बनव अब संतापी रे।
छोड़ बैर के भाव,  मया केे गढ़व  कहानी।
जीव मार झन खाव, रोग हो आनी बानी।3।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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पंथी अउ देवदास बंजारे( हेम के दोहे)

ढोलक तबला थाप मा, बाजय मांदर संग। नाचय साधक साधके, देखव पन्थी रंग।। बाबा घासी दास के, करथे सुघ्घर गान। गावय महिमा देखले, गुरु के करत बखान।। चोला पहिर सफेद गा, नाचय पंथी नाँच। बाँधे घुँघरू गोड़ मा, गोठ करै गा साँच।। सादा हवय लिवाज हा, सादा झण्डा जान। सबला देवत सीख हे, मानव एक समान।। देव दास सिरजन करे, पन्थी नाँच बिधान। बगराइस सब देश मा, करके गुरु के गान। -हेमलाल साहू छन्द साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)