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राखी तिहार ( हेम के सार छंद)

भाई अउ बहनी के सुघ्घर, दया मया ला लावय। सजे हवै दुकान मा राखी, राखी तिहार आवय।। मोर गोड़ हा खजुवावत हे, समझे संगी भोला। मोर करत हे बहिनी सुरता, अइसे लगथे मोला।। बार बार आके कँउवा मन, सगा सन्देशा लावय। हरियर हरियर होवय मन हा, मोरो सुध बिसरावय।। राखी ल निहारत बाबा मन, बहिनी अपन अगोरय। बार बार रस्ता ला देखत, हाथे राखी जोहय।। गावत रहय चिरइया चिरगुन, गुरतुर बोली बोले। तोर हवे बहिनी हा रद्दा मा, रहिबे द्वारे खोले।। बारो महिना रद्दा जोहय, बँद होवत हे आँखी। भाई आये हे तोरे घर, बाँध मया के राखी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

मोर एक झन मया करइया (हेम के सार छंद)

  मोर एक झन मया करइया, लेवय सुध अधिरतिया। आवव सुनलव ओकर कहनी, नाव हवे फुलमतिया।। छोट छोट चुन्दी हे कहिके, मोला देख लजाथे। मीठ मीठ ओ बात बना के, मोला रोज फसाथे।। दिखथव सुघ्घर कहिके ओहर, अब्बड़ जी इतराथे। देख शाहरुख अउ सलमान ल, ओकर घलो पटाथे।। रोज लक्स साबुन म नहाथे, सुर मोरेच लमाथे। अपन सहेली कन ओ जाथे, मोरेच गोठ बतियाथे।। काला मँय बताव संगी ओ, आई लव यू बोलय। रोज फोन ला करके ओ, राज मया के खोलय।। पड़गे हव टूरी के चक्कर, कइसन मोला फाँसे। गली कोर मोर देख देख के, मोला सबझन हाँसे।। ओकर बनगे हव दीवाना, बनके मँय मस्ताना। टूरी हाँसत मोला कहिथे, कविता तोर सुनाना।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)