कसके पानी ला गिरा, बरखा रानी झन थिरा। सुघ्घर आँव मया रखबे, दुख पीड़ा हमरो हरबे।। दाना पानी कहाँ मिले, तोर बिना ये जगत हिले। सुख्खा खेती खार परे, बिन पानी सब जीव मरे। मनखे जम्मो गुनत रही, तोर बिना उद्धार नही। नदिया नरवा कहाँ बहे, सुख्खा ओ बिन तोर रहे।। रुख राई मुर्झावत हे, पानी बिन अइलावत हे। चिरई मन अकुलावत हे, सब बरखा ल बुलावत हे। सबके मन मुस्कान फिरे, कसके पानी फेर गिरे। आके जग हरियर कर दे, अबतो तँय पानी भर दे। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।