लुगरा छाया पोलखा, पहनावा हे जान।
धोती कुरता हा रहे, पुरखा के पहचान।।
पहली के पहनाव मन, नन्दावत हर गाँव।
अबतो खुमरी के कभू, मिले इहाँ ना छाँव।।
लुगरी धोती मन गये, देख सबो अब लुकाय।
सूट पीस अउ जीन्स हा, अब सबला हे भाय।।
नोनी पहिरे फ्रॉक अउ, पहिरे फाफे पेन्ट।
जावत रद्दा बाँट मा, सींच सींच के सेन्ट।।
धोती कुरता छोड़ के, पहिरत जींसे टाप।
लाल सरम ला बेच के, बने ब्रिटिश के बाप।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
टिप्पणियाँ