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फ़रवरी, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

शबरी दाई ( हेम के आल्हा छंद)

शिष्या शबरी ऋषि मतंग के, बसथे जेकर हिरदय राम। राम राम निस ओ जाप करै, परहित सेवा जेकर काम।। सुनके बलि प्रथा जीव मन के, छोड़िस अपन ददा के साथ। भाग अपन घर ले आइस बन, ऋषि सेवा म लगाइस हाथ।। तन मन ले सेवा कर सुघ्घर, पाइस शबरी हर वरदान। बात बताइस ऋषि मतंग हा, आही तोरे घर भगवान।। आनी बानी फूल लान के, सब्बो रस्ता रोज  बिछाय। चीख चीख के बोइर मीठा, छाँट छाँट धर घर मा लाय।। राम भक्ति मा डूबे शबरी, रद्दा प्रभु के जोहत जाय। सुरता राखे गुरु के अपने, दीया मन के ओह जलाय।। गरमी सरदी बारो महिना, मुख मा ओकर राम कहाय। परम् तेजस्वी शबरी दाई, कभू निरासा नइ हो पाय।। आइस राम एकदिन घर मा, शबरी के मन बड़ हरसाय। देख राम ला कुटिया मा ओ, पाँव पखारे माथ लगाय।। जूठा बोइर अपन हाथ ले, खुशी खुशी मा ओह खवाय। पाइस परभू राम प्रसादा, दुनिया मा ओ अमर कहाय।। नवधा भक्ति जेन हा करथे, बैकुंठ लोक ओहर पाय। जियत मरत के बंधन छूटे, हिरदय ओकर राम समाय।। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-01 ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)

@गइया मइया@ सरसी छन्द

जय हो जय हो गइया मइया, देवी के अवतार। रूप आव लछमी दाई के, घर भरथौ भंडार।। नर नारी मन पूजा करथे, महिमा तोर अपार। छुए तोर पूछी ले दाई, मनखे हो भव पार।। गावत हव महिमा ला तोरे, मोला दव ...

नारी शक्ति(आल्हा छन्द)

नारी जग के देबी भैया, झन करहूँ जी अत्याचार। दुरगा काली लछमी देबी, बनके आथे अँगना द्वार।। जेकर घर नारी के पूजा, बसथे उहाँ सबो भगवान। हो अपमान जिहाँ नारी के, उहाँ बसेरा ले शैतान...

@महावीर के मै हा चेला@(आल्हा छन्द)

महावीर के मै हा चेला, आँव महूँ अड़बड़ बलवान। हवै भुजा मा ताकत भैया, कहिथे मोला जगत किसान।। अपन मेहनत अउ ताकत ले, बंजर भुइँया धान उगाव।। भुइँया दाई के सेवा मा, जिनगी सुघ्घर अपन बि...

मै बेटा छत्तीसगढ़ीया(आल्हा छन्द)

मै बेटा छत्तीसगढ़ीया, हरै मोर भुइँया भगवान। भुइँया के सेवा ला करथव, बसथे जेमा मोर परान।। मैं भुइँया के आँव पुजारी, हावय जेमा मया दुलार। दाई के सेवा मा रहिथव, रात अऊ दिन मै मतवा...

@बसंत @(आल्हा छन्द)

गावत हव महिमा बसंत के, कइथे जेला जग रितु राज। चार मास के जेकर शासन, सुघ्घर करथे जग मा काज।। गावत हवै कोयली महिमा,  कुह कुह के सुनले तँय तान। हाँसत हावय रुख राई हा, आगे जग मा नवा ब...

वीर नारायन सिंह (आल्हा छंद)

गावत हावँव महिमा भैया, सुनव वीर नारायण के आज। अपन देश बर जे शहीद हो, बढ़िया करिस हवय गा काज।1। सन सत्रह सौ पँचानबे  मा, नारायण लिस हे अवतार। ददा रहिस हे रामराय हा, अपन राज के माल ग...

@किसान@(आल्हा छंद)

भुइँया दाई हा महतारी, तोला कहिथे जगत किसान। सुख दुख के हावय सँगवारी, जेमा बसथे तोर परान।। उठती बेरा बुढ़ती बेरा, करथस सूरुज देव प्रणाम। रोज पाँव परथस भुइँया के, जेकर सेवा तोर...

हेमलाल साहू के आल्हा छंद

आजाद भगत गौतम गाँधी, जइसन बनहूँ महूँ महान। अपन देश बर मर मिट जाहू, रखहूँ दाई के मँय मान।1। भारत माता के चोला ला, बनहूँ पहन शिवाजी वीर। भुइँया दाई के सेवा कर, जन जन के हरहू मँय पी...

बिलासा केंवटिन (आल्हा छन्द)

आवव संगी सुनव कहानी, रहिस सती नारी ओ वीर। नाव बिलासा जात केंवटिन, रहै बसेरा नदिया तीर।। छोटे छोटे गाँव रहै गा, छितका कुरिया मुकुत दुवार। आमा अउ मउहा परसा के, रुख राई अरपा के पा...

गावव महिमा अपन गाँव के

चिरई मन के जिहाँ बसेरा, गिधवा हावय मोरे गाँव। बर पीपर अउ रुख राई के, मिलथे भैया सुघ्घर छाँव।। महमाई करथे रखवारी, बइठे सुघ्घर तरिया पार। सुख दुख मा दाई ला सुमरे, आय गाँव के तारन...

बेटी (कुण्डलिया छन्द)

बेटी घर मा जनम ले, लछमी बनके आय। बेटी हे अनमोल जी, सबके मन ला भाय।। सबके मन ला भाय, रूप देवी के जानय। घर मा खुशियॉ लाय, आरती मंगल गावय।। करय गरीबी दूर,  लाय घर मा सुख रोटी। माँगव जी...

हेम के उल्लाला छन्द

नाचा(उल्लाला छन्द) नकल दिखावय रीत के, गावय गाना मीत के। निकले जोक्कड़ अउ परी, नाचत चौरा के तरी।। ढोलक तबला  संग मा, नाचा  चढ़थे  रंग मा।। धरै परी हा राग ला, गावत जोक्कड़ फ़ाग ला।। द...

हेम के कुण्डलिया

बसंत पंचमी विनती करथे देख ले, माँ सेवा मा खोय। आगय बसंत पंचमी, सारद पूजा होय।। सारद पूजा होय, ज्ञान बर अरजी करथे। मनके दीया जला, देख माँ बिद्या भरथे।। जोड़व मनके तार, पाव जी सबो ...