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संत गुरु घासीदास (आल्हा छंद)

संत महात्मा ये भुइँया के, सुघ्घर लाइस नवा उजास। माता रहिस हवे अमरौतिन, ददा रहिस हे महँगू दास। माह दिसम्बर रहिस अठारह, सन सतरा सौ छप्पन जान। लेइस घासीदास जन्म ला, मनखे बर बनके भगवान।।   बाबा सत के रहिस पुजारी, बनिस गिरौदपुरी हा धाम। होगिस हावय पावन भुइँया, सबो डहर गूँजय सतनाम।। बाबा तँय अड़हा बइला मा, सुघ्घर गुन हवस जगायेंव। काँटे साप बुधारू ला ता, करके चमत्कार जियायेंव।। बइठे छाता के पहाड़ मा, बाबा अपन धुनी ला रामाय। सत रद्दा मा चलके बाबा, नाम जगत मा सत फैलाय।। अवरा धवरा पेड़ मेर तँय, बइठ ज्ञान ला सुघ्घर पाय। मनखे मनखे समान हे कहि, भेद भाव ला हवस मिटाय।। माह दिसम्बर अमर जयंती, गाँव गाँव मा तोर मनाय। जैतखाम हा तोर निसानी, सत के झण्डा ला फहराय। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

हेम के दोहे

हेम के दोहे चीं चीं होत बिहान ले, चिरई बोलत बोल।   उगे सुरुज के देवता, झटकन आँखी खोल।। मनखे आवत जात ला, कहिथें जय जय राम। उवत सुरुज ला सब करें, देख रोज परनाम।। जल्दी करहूँ काम ला, होवे झन जी शाम। भाग्य मेहनत से बने, झन करबे आराम।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

गुरुवर (हेम के दोहे)

  देवय गुरु आशीष ला, लेलव बढ़िया ज्ञान। जिनगी हो जाही सुखी, करले गुरु के ध्यान।। सच्चा गुरुवर जौन हे, चेला ना भटकाय। मन के दुविधा दूर कर, शंका दूर भगाय।। गुरु अच्छा तँय बना, मन मा सोच बिचार। जिनगी के नइया लगे, भवसागर से पार।। गुरुवर कहना मान ले, भटकच नहीं सियान। मानुष तन तोला मिले, झन कर गरब गुमान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

दाई ददा ( हेम के दोहे)

मानव हे दाई ददा, तोला मँय भगवान। जग मा हावव मोर बर, तँय हर वरदान।। करहूँ सदा प्रणाम ला, अपन हाथ ला जोर। चारो तीरथ धाम अस, करहूँ पूजा तोर।। पहली गुरु दाई ददा, पावन ज्ञान अँजोर। जिनगी भर दे सीख ला, राख मया के सोर।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

लुवई मिसई (हेम के दोहे)

कार्तिक अघ्घन पूस मा, लुवई मिसई आय। मिले नहीं आराम हा, कसके रोज कमाय।। धरके जावय हंसिया, खेत लुये ला धान। पाही पाही धर लुये, करपा माढ़य घान।। पूरा लाने धान के, डोरी गजब बनाय। करपा लान सकेल के, बोझा बाँध बनाय।। बइला गाड़ी धान भर, बोझा बोझा जोर। मेड़ पार ला खेत के, लावन रावन फोर।। गाड़ी ला कोठार मा, लान खड़ा कर तीर। सुघ्घर खरही गाँज ले, मढ़ा मढ़ा के धीर।। छोल चाच चतवार के, सुघ्घर हवे बनाय। खवरावय कोठार झन, गोबर लेप चटाय।। गोबर पानी डार के, लिप ले तँय कोठार। झेल कलारी हाथ मा, पैर धान के डार।। बेलन अउ दवरी चले, बइला ला खेदार। बीच बीच मा कोड़ के, बने धान ला झार।। पैरा सबो निकाल के, गोल गोल के गाँज। पैरावट सुघ्घर दिखे, रखले भइया साज।। जम्मो धान सकेल के, एक जगा मा लान। पँखा लगा के तँय उड़ा, बाचय दाना धान।। बोरा भरके धान ला, घर के कोठी डार। लक्ष्मी के पूजा करें, घर भर दे भण्डार।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा (छ. ग.)