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मई, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हरिगीतिका छन्द

रखबे मया तँय संग मा,  करु छोड़ के तँय गोठ गा। तँय राखले बिस्वास ला, मन होय जी तब पोठ गा। अभिमान ला तँय छोड़ के, मन राख ले तँय प्रेम गा । करबे भला मन बाँध ले, जग आस हे हर टेम गा।। सुघ्घर ...