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हेम के दोहे

1) खुल्ला हरव किताब मँय, पढ़के लेबे देख। हेम मोर नावे हवे, लिखथव कविता लेख।। 2) नगधा मोरे पोस्ट हे, गिधवा हावय गाँव। जिला हवय बेमेतरा, जिहाँ मया के छाँव।। 3) महमाया दाई रखे, किरपा अपन अपार। जेकर महिमा गाव मँय , देवय मया दुलार।। 4) बी ए हावव मँय पढ़े, जाके जी कालेज। कम्प्यूटर के ज्ञान हे, अउ जरनल नॉलेज।। 5) सँगवारी मन के बने, करथव मँय हा सोर। जिनगी भर सुरता रहे, बाँध मया के डोर।। 6) सीधा साधा भोकवा, मोला संगी जान। छत्तीसगढ़ी मोर गा, बोली हे पहचान।। 7) नान्हे पन के जे बने, हावय मोर मितान। महतारी भाखा हवे, जग मा मोर महान।। 8) सुघ्घर भाषा मोर हे, रखथव जेकर मान। मीठ मीठ बोली हवे, जेकर करव बखान।। 9) काबर करथे लोग हा, भाषा के अपमान। छत्तीसगढ़ी मा भरे, कतको हावय ज्ञान।। 10) विनती करथे हेम हा, मन के आपा खोल। लाज सरम ला छोड़ के, छत्तीसगढ़ी बोल।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*सुखी सवैया*

सुमता रखले घर मा बढ़िया, परिवार सुखी रइही जिनगी भर। मिलके रहिबे सबके सुनबे, तबतो चलही भइया जिनगी हर। रख एक बरोबर गा सबला, इहि मान कमालव जी जिनगी बर । तँय राख दुलार बने सबला, सुन सुघ्घर जाहय ये जिनगी तर। गुटखा मुँह मा भर खावय जी, अपने जिनगी बर काल बलावय। मुँह भीतर मा सिगरेट धुँआ, अबड़े नुकसान नशा पहुँचावय। बनथे तन हा गढ़ जेकर गा, अउ रोग बियाधि सबो सकलावय। जिनगी बिरथा तब जान सखा, बनके जब काल नशा हर आवय । -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा