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नवंबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

*कज्जल छन्द*

पावन छत्तीसगढ़ मोर। मया दया ला रखे जोर। हवे किसानी के सोर। संग मितानी रहे तोर। देव विराजे इहाँ जान। साधु संत के हवे मान। भुइँया के हावे किसान। कहिथे जेला ग भगवान। बइला जेकर हे मितान। जाँगर हावे ग पहचान। बोय उन्हारी अऊ धान। भुइँया हावय ये महान। भाखा हावय मीठ मोर। लागे गुरतुर मया लोर। ये भुइँया के रहे सोर। जग मा लाही नव अँजोर। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*कुकुभ छन्द*

छत्तीसगढ़ी बोली भाखा, बड़ गुरतुर मोला लागे। जन्म जन्म के रिश्ता हावे, जेला मोरे मन भागे। मोर हवय जे दाई भाखा, मानव जेला भगवाने। मीठ मीठ अउ गुरतुर बोली, बोलव जी सीना ताने। नाचत पन्थी अऊ सुवा ला, करथन जेमा गुनगाने। राग ददरिया करमा सुघ्घर, भाषा दे हे पहचाने। दान दया ला राखे सुघ्घर, मया प्रीत ला हे बाँधे। करम धरम के गुन ला गाथे, राम नाव ला हे साधे।। फेर देख हालत भासा के, आँखी ले आँसू आथे। हमर शहर ला हमरे भाखा, काबर अइसन नइ भाथे। छोड़व मन के संका अबतो, राज काज देवव मोरो। पढ़ लिख ले दाई भाखा मा, भाग जागही अब तोरो। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*मोद सवैया* (छन्द)

1) बालक छोट रहे हम खेलन कूदन जी धुर्रा अउ माटी। जावन होत बिहान धरे थइली भर जी भौंरा अउ बाँटी। नाचत कूदत खूब मजा लन जी पहिरे माला गर घांटी ।। देवन जी सँगला बढ़िया अउ जावन गा संगी बन खाँटी। 2) खेलन जी मिलके कतको ठन खेल ल गा पारी  दर पारी। रेलम रेस ल खेलन दाम ल देवन जी संगी सँगवारी। खेलन खेल ल जेकर हे महिमा जग मा संगी बड़ भारी।। खोजन ढूढन खोर गली अउ जी सबके कोठा घर बारी। 3) पाँव परे जयकार लगावय जी भुइँया के मोर किसाने। राग बने धरके भइया करथे भुइँया के रोज बखाने। धान लुये बर जात हवै धरके हँसिया ला मोर मिताने। देखव खोर गली अँगना परगे सब सुन्ना होत बिहाने। 4) गागर मा भरले तँय सागर ज्ञान ल भैया तोर बढ़ाके। बाँटव सुघ्घर ज्ञान ल ये जग मा मनके दीया ल जलाके। रोवत गावत ये दुखहारिन ला बढ़िया जी संग हँसाके। दान दया धरके रखबे बढ़िया तँय भैया संग जगाके। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा