पावन छत्तीसगढ़ मोर। मया दया ला रखे जोर। हवे किसानी के सोर। संग मितानी रहे तोर। देव विराजे इहाँ जान। साधु संत के हवे मान। भुइँया के हावे किसान। कहिथे जेला ग भगवान। बइला जेकर...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।