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अगस्त, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के चौपई छन्द

कड़हा कचरा कस जन छाँट। अपन मया ला सबला बाँट।  पथरा जइसन झन तँय तीप। करसा कस सीतल बन सीप। देख समारू करथे गोठ। छत्तीसगढ़ी मा बड़ पोठ। छत्तीसगढ़ी बोली बोल। मनके अपने आपा खोल। दया धरम ला करदे दून। पाप तोर हो जाही शून। मनला बने भक्ति मा सार। जीव होय भवसागर पार। आव महूँ बइगा तँय जान। मार भगाथौ मुड़ी मसान। माँगव ब्याज संग मा सूत। मन्तर मारव भागय भूत।। राम सबो ले हावे सोझ। नइहे ककरो ओहर भोझ। रोज मेहनत करथे जेन। हो जाथे दुरिहा सब पेन।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

कन्हैया (हेम के पकैया छंद)

छन्न पकैया छन्न पकैया, लीला करय कन्हैया। अजब गजब ले करे तमासा, मुरली देख बजैया।। छन्न पकैया छन्न पकैया, छेड़य राधा रानी। फोड़े मटकी ग्वालिन मन के, राधा बर हे बानी।। छन्न पकैया छन्न पकैया, ग्वालिन हे नादानी। बजे बाँसुरी के धुन भैया, दउड़त हे दीवानी।। छन्न पकैया छन्न पकैया, राधा रानी हारे। हवे मोहना मोर कन्हैया, सबला मोही डारे।। छन्न पकैया छन्न पकैया, माखन ला चोरइया। घर घर जाके करथे चोरी, देख दशोदा मइया।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

दाई शारद मोर (हेम के रोला)

दाई शारद मोर, ज्ञान दे दे अनमोले। मोर लगै हे आस, मिले विद्या के बोले। साधक बनके तोर, साधना पूरा करहूँ। सदा पाँव आशीष, शरण मा तोरे रइहूँ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

कृष्ण कन्हैया (रोला छंद)

कृष्ण कन्हैया (रोला छंद) कहिथे माखन चोर, नाव हे कृष्ण कन्हैया। बँसरी मधुर बजाय, भगत नाचे ता थैया।  आस नन्द के लाल, दई हे तोर यशोदा। रचै गजब तँय रास, देख हाँसत हे कोंदा।। करै प्रेम के रास, संग मा राधा रानी। गोपी नाचे रोज, रखै हावस तँय बानी। बृंदाबन मा अजब, खेल खेले माया के। रोज चराये गाय, संग जाके गइया के रखै जगत मा ज्ञान, याद राखे दुनिया हा। सबके भाग जगाय, देख कृष्ण कन्हैया हा। साथी बन जा मोर, बिराजव मन मा आके। जपते रइहँव नाव, सदा मन अपन लगाके। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)

मुरली वाला (हेम के दोहे)

मुरली वाला आँव तँय, मनमा बसजा मोर। जिनगी भर तँय साथ दे, नाम जपव मँय तोर।। मिटै मोह माया सबो, मिलै ज्ञान के छोर। अंधकार ला दूर कर, लावव नवा अँजोर।। मँय तोला सुमिरन करव, ये पापी ला तार। कलयुग के परदा हटा, भवसागर कर पार।। भाई भाई दुश्मनी, करत मार अउ काट। परभू आके प्रेम ला, अबतो सब मा बाँट।। परभू बिनती मोर हे, भरदे मन मा प्रेम। तोर भजन करहूँ सदा, श्रद्धा ले हर टेम।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

कमरछठ

हवे कथा ला सुनत, देख परभू के खासे। आज कमरछठ आय, रखै हे दई उपासे।। सुघ्घर जिनगी अपन, पूत बर हावे माँगत। दाई ला परनाम, सदा रहे जियत जागत।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

सन्देस

भरगे सबके गाँव, मोर हे गावे सुक्खा। रोवत खेती खार, हमन ला राखे भूखा।। भेजत हव सन्देस, गाँव आ बरखा रानी। तरसत हावे जीव, गिरादे अब तो पानी।।

हेम के रोला छंद

रखबे सबके मान, अपन करले गुरु ध्याने। होय सफल जी काम, हेम तँय पाबे ज्ञाने।। साधक बनके साध, लक्ष्य मा रखके ध्याने। मिले नहीं गुरु ज्ञान, राख ले तँय गुरु माने। धरती दाई तोर, सदा मँय परहूँ पइयाँ। हावे गिधवा गाँव, जनम के मोरे भुइयाँ।। हेमलाल हे नाव, मेहनत अपन करइया। माटी के दिन रात, हरँव सेवा ल बजइया।। किरपा मया दुलार, हवै परभू के जाने। जिनगी के सुख पान, करम मा हावे माने। करे मेहनत रोज, पूत मँय आँव किसाने। खून पसीना सींच, महूँ बोथँव जी धाने।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

राखी साखी प्रेम के (हेम के उल्लाला छंद)

ये राखी साखी प्रेम के, देख देख मन हा भरै। नित दया मया दीदी रखै, भैया दुलार ला करैै।। मन रोवत दीदी के हवे, भैया ला सुरता करै। दुख पीरा ला काला कहै, बइठे राखी ला धरै।।  गे भाई रक्षा बर हवय, बार्डर हमार देश के। मैना के आँखी भींजथे, रोवत दीदी देख के।। ओ मैना बोलिस बात सुन, जाहू भैया पास ओ दे आहू राखी तोर मँय, अउ संदेशा खास ओ।। सुन दीदी अतका बात ला, राखी लावय साथ मा। खुश होके राखी अपन, देवत ओकर हाथ मा।। कर पूजा सुघ्घर भेजथे, देवत शुभ संदेश ला।। पहिना राखी ला मोर तँय, हरहू जम्मो क्लेश ला। -हेमलाल साहू छंद साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

गोस्वामी तुलसीदास (उल्लाला छंद)

परम भगत ओ राम के, संत महात्मा जे रहै। नावे तुलसीदास हे, राम कथा ला नित कहै। रतना के फटकार ले, मिलगे परभू राग हा। मिटगे मन के पाप हा, जागे सुघ्घर भाग हा। डूब राम के भक्ति मा, पाये अमरित ज्ञान ला। रामचरितमानस लिखे, जग पाये पहचान ला। कासी मा जिनगी कटै, करत राम गुनगान ला। त्यागे अस्सी घाट मा, जप के राम परान ला। दया धरम के बात ले, रखै जगत के मान ला। अहंकार माया मिटै, पढ़ लौ तुलसी ज्ञान ला। -हेमलाल साहू  छंद साधक सत्र-01 ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग)

टूरी बर मोर मया उमड़ गे (हेम के सार छंद)

टूरी बर मोर मया उमड़ गे, रोजे नींद चुरावय। देखत देखत सपना ओकर, सुध बुध मोर गँवावय।। गोरी के सुरता हा आवय, सुघ्घर मुखड़ा हावय। गोरी नारी सुघ्घर हावय, देख मोर मन भावय।। कारी कारी आँखी हावे, भरे मया के थारी। गोल चेहरा ओकर हावे, हवै मया गा भारी।। घर में रोजे गारी देथे, टूरा ल काय होगे। बइहा भुतहा मोला कहिथे, टूरी बर मोहागे।। झूले नजरे नजर मोर जी, मोला कछू न भावय। प्रेम रोग मोला लगे हवे, बइगा कोन बुलावय।। --हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

नागपंचमी (हेम के सरसी छंद)

नागपंचमी आगय भइया, पूजा करबो साँप। महादेव के जप ला करबो, सबो कटे गा पाप।। लछ्मी दाई घर लावय जी, सुमिरन करलव नाग। दूर करय सब दरिदरता ला, हमर जगावय भाग।। साँप नहीं मनखे के बइरी, ओकर जान मितान। शिव बोला के माला हावे, बिसनू आसन जान।। हितवा मन के साथी जानव, बइरी के तो काल। हवे मोह सबला परान के, रखथे एखर ख्याल।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)

मितान (हेम के सरसी छंद)

सुख दुख के मोर संगवारी, जेला कहे मितान। हावय सुघ्घर जी चिन्हारी, दया मया पहिचान।। सुघ्घर खाथन मिल बाँट हमन, लेथन परभू नाम। संगे रहिथन संगे घुमथन, करथन सुघ्घर काम।। कृष्ण सुदामा हवे मितानी, हिरदय रखे मितान। धन दौलत ला जानत नइहे, सबले बड़े महान।। ऊँच नीच ला नइ जानय जी, मया रथे हर टेम। मन मिलथे ता मितान बनथे, जान आज ले हेम।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.) 

अपन देस बर जीबो मरबो (हेम के सरसी छंद)

अपन देश बर मरबो जीबो, हम ला हवय गुमान। लाल हमन भारत माता के, ओखर करब बखान।1। हिन्दू मुस्लिम सिख ईसाई, हमर देश के मान। मया दया अउ भाई चारा, भारत के पहचान।2। पूरब पश्चिम उत्तर दक्षिण,  हवन एक सब जान। जान भले जावय भुइँया बर, सहन नहीँ अपमान।3। हवै भरोसा जाँगर मा जी, करथन जी भर काज। हमर बने माटी के चोला, रखथन माटी लाज।4। दाई के जयकारा गावत, चलथन सीना तान। दुश्मन कतको आवै संगी, हार कभू नइ खान।5। खुदीराम आजाद भगत कस, जनमिन बड़का वीर। अपन  देश  के  रक्षा  खातिर,  हाँसत  सहिगे  पीर।6। बापू  गंगाधर  सुभाष  जी,  रहिन देश  के  शान। स्वाभिमान ला उमन जगाइन, जागिस सबो जहान।7।  आजादी बर लड़िन लड़ाई,  बाँटत  सत  के  गोठ। ब्रिटिश राज ला मार भगाइन, वार करिन उन पोठ।8। हमू  आन भारत  के बेटा, सदा  देश  बर प्रेम। बाँचय ना जयचंद देेश मा, परन करत हे हेम।9 -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग)

सावन सोमवार (सरसी छन्द)

सावन सोमवार के संगी, साधक करय उपास। महादेव के जाप करे जी, रख दरशन के आस।। सरधा मन ले फूल चढ़ाबो, संग बेल के पान। भूखा हे भगवान भाव के, रखे भगत के मान।। अपन मनौती ला मनवाबो, गिर चरनन मा आज। गंगा जल ला अरपित करबो, पूरन करही काज।। जाप ओम के गूँजत हावय, देखव चारो धाम। कैलाशपति तोर शिव भोले, अवघर दानी नाम।। धरै हाथ मा डमरू त्रिशूल, गला लपेटे नाग। देख जटा में गंगा सोहय, पिये धतूरा भाँग।। जहर कण्ठ मा दाबे भोला, करै जगत कल्यान। पहिर साँप बिच्छी के माला, रखथस संग मशान।। माता पारवती सँग रहिथे, बेटा तोर गणेश। दूर करे सबके दुख पीरा, धरे गजानन भेस।। जय जय हो भोले भंडारी, करबे मन मा वास। सावन सोमवार के संगी, साधक करय उपास।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

*नशा नाश के गढ़ ए*(पकैया छंद)

छन्न पकैया छन्न पकैया, नशा नाश के गढ़ ए। नाश करै घर सबके संगी, रोग लाय के जड़ ए।1। छन्न पकैया छन्न पकैया, दारू चेत बिगाड़य। देख कका दसरू हा पीके, आँय बाँय चिल्लावय।2। छन्न पकैया छन्न पकैया, बीड़ी खाँसी लाये। करै फेफड़ा धुँगिया धुँगिया, कुँआ मौत के ताये।3। छन्न पकैया छन्न पकैया, कैसर लाय गुड़ाखू। गोहारत हव बात मान ले, भैया तँय बैसाखू।4। छन्न पकैया छन्न पकैया, लाय गरीबी तंगी। बड़े बड़े ज्ञानी मन कहिथे, नशा काल के संगी।5। छन्न पकैया छन्न पकैया, छोड़ नशा ला भाया। हाथ जोड़ के करथौं अरजी, सुख के पाहू छाया।6। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा