@भाजी@ भाजी तिवरा अउ चना, देख सबो ललचाय। फेव-रेट सब के हवे, सिरतो गजब मिठाय।। खाले भाजी साग ला, सेहत के संसार। रोग दूर तन के करै, देवत मया अपार।। टोर खेड़हा खोटनी, भाजी राँध बघार। ...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।