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*अरविंद सवैया*

1) मनखे मन काँटिच हे बन ला, टँगिया हँसिया धरके हर साल। निमगा पुरवा नइ पावच गा, बनगे जिनगी बर ओहर काल। तरिया नदिया डबरा पटगे, पनिया बिन रोवत हे सब ताल। बढ़िया रुखवा ल लगा बन मा, जिनगी बर ये बनही अब ढाल। 2) गुरु के महिमा तँय गावत गा, बढ़िया मनमा भजले सतनाम। मनखे मनखे सब एक हवे, सुभ भाव भरे कहिले सतनाम। तँय मान बने कहना भइया, जिनगी भर जी धरले सतनाम। दुख दारिद रोग सबो मिटथे, मनमा रखके जपले सतनाम। 3) पहली चल आवव गा रखबो, हम साफ बने अँगना घर द्वार। चमके बढ़िया हर खोर गली, सब साफ रहे तरिया अउ पार। मिलके सब गा सहयोग करौ, अभियान चलाय हवे सरकार । तन स्वस्थ रहे मन स्वच्छ रहे, सबके घर हो सुख से परिवार। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*(सुन्दरी सवैया छन्द)*

1) सुनके रहिबे गुनके चलबे, तबतो बढ़िया जगमें रहि पाबे। चल जाँगर पेर बने कसके ,नइ तो जिनगी भर गा पछताबे। करले तँय दान दया बढ़िया, सुन ले भइया बड़ पुण्य कमाबे । जपले मनमा हरि नाम बने, तँय हा भइया जग ले तर जाबे। 2) चल रे मितवा चल रे हितवा, मिलके सब मा नव जोश बढ़ाबो। चल भारत ला बढ़िया भइया, मिलके हम साक्षर देश बनाबो। सब ज्ञान बने हमला मिलही, चलना भइया मन द्वार जगाबो। पढ़बो लिखबो गढ़बो बढ़िया, अउ जी सबला हम फेर पढ़ाबो। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*शक्ति छन्द*  

1) बने साफ हो जी गली खोर हा। तभे गाँव आही ग अंजोर हा। रहे गाँव मा जी सदा रीत हा । बसे हे घरो घर मया प्रीत हा। 2) मया ले मया दे, रहे मीत हा। बहे धार चारो, डहर प्रीत हा। दया राख मनमा, कहे रीत हा। बने भाय सबला, इही हीत हा। 3) करव जाप मन मा, बसा राम ला। अपन छोड़ चिंता, करव काम ला। सबो आव रहिबो, बने साथ मा। जगा मेहनत ला, अपन हाथ मा। 4) रँगव मेहनत के, सदा रंग मा। रहव साथ मिलके, सबो संग मा। कला ला बनाले, सँगी तोर गा। रहे फेर सुख के, सदा भोर गा। 5) करँव तोर दाई सदा भक्ति ला। बढ़ा मोर मन के सदा शक्ति ला। चलव नेक रस्ता मने ठान के। बढ़य मोर अंजोर हा ज्ञान के। 6) किसानी जुबानी, रखे मान ला। सबो जात हावय लुये धान ला। ददरिया हवे गात जी आन मा। रखे हाथ हँसिया चले शान मा। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*कज्जल छन्द*

पावन छत्तीसगढ़ मोर। मया दया ला रखे जोर। हवे किसानी के सोर। संग मितानी रहे तोर। देव विराजे इहाँ जान। साधु संत के हवे मान। भुइँया के हावे किसान। कहिथे जेला ग भगवान। बइला जेकर हे मितान। जाँगर हावे ग पहचान। बोय उन्हारी अऊ धान। भुइँया हावय ये महान। भाखा हावय मीठ मोर। लागे गुरतुर मया लोर। ये भुइँया के रहे सोर। जग मा लाही नव अँजोर। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*कुकुभ छन्द*

छत्तीसगढ़ी बोली भाखा, बड़ गुरतुर मोला लागे। जन्म जन्म के रिश्ता हावे, जेला मोरे मन भागे। मोर हवय जे दाई भाखा, मानव जेला भगवाने। मीठ मीठ अउ गुरतुर बोली, बोलव जी सीना ताने। नाचत पन्थी अऊ सुवा ला, करथन जेमा गुनगाने। राग ददरिया करमा सुघ्घर, भाषा दे हे पहचाने। दान दया ला राखे सुघ्घर, मया प्रीत ला हे बाँधे। करम धरम के गुन ला गाथे, राम नाव ला हे साधे।। फेर देख हालत भासा के, आँखी ले आँसू आथे। हमर शहर ला हमरे भाखा, काबर अइसन नइ भाथे। छोड़व मन के संका अबतो, राज काज देवव मोरो। पढ़ लिख ले दाई भाखा मा, भाग जागही अब तोरो। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

*मोद सवैया* (छन्द)

1) बालक छोट रहे हम खेलन कूदन जी धुर्रा अउ माटी। जावन होत बिहान धरे थइली भर जी भौंरा अउ बाँटी। नाचत कूदत खूब मजा लन जी पहिरे माला गर घांटी ।। देवन जी सँगला बढ़िया अउ जावन गा संगी बन खाँटी। 2) खेलन जी मिलके कतको ठन खेल ल गा पारी  दर पारी। रेलम रेस ल खेलन दाम ल देवन जी संगी सँगवारी। खेलन खेल ल जेकर हे महिमा जग मा संगी बड़ भारी।। खोजन ढूढन खोर गली अउ जी सबके कोठा घर बारी। 3) पाँव परे जयकार लगावय जी भुइँया के मोर किसाने। राग बने धरके भइया करथे भुइँया के रोज बखाने। धान लुये बर जात हवै धरके हँसिया ला मोर मिताने। देखव खोर गली अँगना परगे सब सुन्ना होत बिहाने। 4) गागर मा भरले तँय सागर ज्ञान ल भैया तोर बढ़ाके। बाँटव सुघ्घर ज्ञान ल ये जग मा मनके दीया ल जलाके। रोवत गावत ये दुखहारिन ला बढ़िया जी संग हँसाके। दान दया धरके रखबे बढ़िया तँय भैया संग जगाके। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

त्रिभंगी छन्द

जय जय हो भुइँया, परथँव पँइया, रोजे तोरे, ध्यान धरँव। मोरे महतारी, तँहि सँगवारी, अपन राज के, मान रखँव।। बाढ़य गरिमा, गावँव महिमा, दाई जब मँय, गान करँव। मन ला मँय खोलँव, भाषा बोलँव, इँहचे के ए, मोर कहँव। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा (छत्तीसगढ़) मो. 9977831273

*कज्जल छन्द*

1) वरुण देव हा जी रिसाय। पानी आसो नइ गिराय।। रोवत नदिया बहत जाय। हाल देख भुइँया सुनाय। रोवत हावे सब किसान। आसो होइस नहीँ धान। भुइँया जेकर हवै जान। सुक्खा मा छूटत परान। पानी के नइ पास धार। सुन्ना हावय खेत खार। रोवय बारी बइठ मरार। पानी बिन नइ हवै नार। जिनगी बर जी हवै काल। सबके निकलत हवै खाल। तीन साल परगे अकाल। होवत नइ हे अंत राल। जिनगी मा ला तँय बहाल। वरुण देव करदे कमाल। बारिश होय टरै दुकाल। मन हरियर हो इही साल। 2) जप ला करके राम राम। छाँव रहय या बने घाम। करले बढ़िया सँगी काम। होयव जग मा तोर नाम। जाँगर बढ़िया सँगी पेर। जिनगी मा नइहे अँधेर। पाबे सुख तँय बने फेर। जिनगी बर तँय समे हेर। होवय चर्चा गली खोर। अपन मेहनत लगा जोर। जस हा बाढ़त बने तोर। पानी मा आलस ल बोर। छोड़व मनके अंहकार। दुरिहा होवय अंधकार। दिया करम के बने बार। आवय लछमी घर दुवार। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

बरवै छन्द

*महँगाई * बाढ़े भावे कसके, हर दिन साल। बइरी महँगाई हा,  बनके काल।। झार गोंदली मारत, बइठे हाट। होवय चर्चा जेकर, रस्ता बाट।। लाल लाल होवत हे, सबके आँख। मिरचा बइरी देवत, कसके काँख।। रोवात हवय सबला, देख पताल। संग कोचिया रहिके, करें बवाल।। जनता  के मरना हे, बाढ़त दाम। काम धँधा तो नइहे, फोकट राम।। नेता  मन सब बइठे  देखत हाल। अपन भरे बर कोठी, चलथे चाल।। शासन ला का चिंता, भष्टाचार। परगे महँगाई के, सबला मार।। *मोर मया के पाती * मोर मया  के पाती,  ले  संदेश। सबला बढ़िया राखे, मोर गनेश। बबा डोकरी दाई, जय सतनाम। बाबू दाई दीदी, करवँ प्रणाम।। भैया भाभी संगी, कर स्वीकार। भेजत हव संदेशा, जय जोहार।। घर अउ अँगना बढ़िया, होही मोर। सपना देखत रहिथव, रतिहा जोर।। बने मनाबो मिलके, हमन तिहार। आहू  देवारी  मा, दिन  गुरुवार।। दीया हमन जलाबो, घर अउ द्वार। लाबो बढ़िया जग मा, नव उजियार।। जगमग जगमग होवय, घर अउ खोर। पढ़य लिखय नोनी अउ, बाबू मोर।। राखय सबला बढ़िया, खुश भगवान। आगू जावय बढ़िया,  मोर  किसान।। सबझन ला पायलगी, अउ जय राम। मोर कलम ला  देवत,  हव विश्राम।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पो

*(किरीट सवैया)*

1. गुरु  आवत जावत सोवत मैं गुरु के गुन रात अऊ दिन गावव। जेकर जी सुनके महिमा अबतो बड़ मैं हर तो इतरावव। पावव ताकत मैं गुरु के अबतो हर संकट मैं ह पुकारव। मार इहाँ गुरु के मन मंतर मैं सबके मनके भूत भगावव।। 2. *साक्षरता*   साक्षर भारत देश बने हमरो बनही अब मानत हावय। रोशन होवय देश बने अब साक्षरता अपनावत हावय। ज्ञान बने सबला मिलही हमरो अब देश ह जागत हावय। देख सबो मनखे पढ़के बढ़िया अब ज्ञान ल पावत हावय। 3. *सुरता *  आवत हावय रात अऊ दिन जी सुरता कइसे रह पावव। रोवत रहिथे मनहा दुखला अपने कइसे ग सुनावव। हावव मैं दुरिहा अपने घर ले कइसे ग समे ल बितावव। आँख भरे मन भींजत मोर रहे कइसे दिन ला ग गुँजारव। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा

*(छन्द त्रिभंगी)*

1) हे जग महमाई, सबके दाई,   मन मे आके,  वास करौ। हे मंगल करनी, जग के जननी, विपदा आके, मोर हरौ। महिमा हे भारी,   शोभा न्यारी, सबझन तोरे, गान करै। करथे मन सेवा, चढ़ा कलेवा, सब भक्तन मन, ध्यान धरै। 2) बढ़िया मन राखत, मया जगावत, तँय सँगवारी, मोर रहे। धरती महतारी, मोर चिन्हारी, मन हा दाई, रोज कहे। मन हा बिसरावत, सुरता आवत, तोला दाई, ध्यान धरे। महिमा ला गावत, मन मुस्कावत, मन हा मोरे, गान करे। 3) सेवा कर भाई, ददा ग दाई, तीरथ गंगा, धाम हरे। जप करले ओकर, झन खा ठोकर, नइया तोरे, पार करे। तँय छोड़ दिखावा, छैल छलावा, जग के माया, आँख परे। तँय धरम कमाले, दया दिखाले, जग मा सुघ्घर, दान धरे। 4) का हवै ठिकाना, सबला जाना, देखव यम हा, प्रान धरे। खाली तँय आबे, खाली जाबे, जिनगी के दिन, चार हरे। माटी के काया, जग के माया, रिश्ता नाता, छोड़ चले। तँय धरम कमाले, दान दिखाले, तोर जगत मा, नाम फले। 5) हे बरखा रानी, बचा किसानी, सुख्खा खेती, देख परे। खाली हे नदिया, देखव तरिया, सुरता सब झन, तोर करे। पाना मुरझावत, पेड़ सुखावत, जोहत रहिथे, आस धरे। ए जिनगानी मा, बिन पानी मा, अब यम आके, प्रान हरेे।

सरसी छन्द फागुन

देख महीना आगय फागुन, घर मा हे अँधियार। दूखन भूखन रहिके आसो, मानत हवन तिहार।। तरिया नदिया सुक्खा हावे, सुक्खा खेती खार। बिन पानी के मचगेे हावय, भारी हाहाकार।। आसो के होरी मा परगे, हावय देख दुकाल। दाना पानी बर तरसत हे, जी लागे जंजाल।। मनखे मन ला देखव संगी, बिन पानी मुरझाय। चिरई चुरगुन मन रोवत हे, राम राम चिल्लाय।। लाल लाल जी परसा फुलगे, आमा हा मउराय। मनके पीरा बाढ़त हावय, फागुन हा लकठाय।। बबा सुनाके किस्सा ला जी, ढाढस बाँधत जाय। आही सुख के दिन हा बेटा, कहिके ओ समझाय।। आँव मनाबो सुघ्घर होरी, नवा नवा हे साल। सुनही हमरो विनती रामा, खेलबो रंग गुलाल।। -हेमलाल साहू

सरसी छन्द नारी

मान राख जग मा नारी के , झन कर अपमान। नर नारी ले जग हा बनथे, होवय जग कल्यान।। दुरगा काली लछमी दाई, बनके बाँटत ज्ञान। देवी रूप हरे जी नारी , जग बर गा वरदान।। फेर आज के ये समाज मा, सब नारी बेहाल। भोग विलासा वस्तु जानके, नोचत हावय बाल।। बड़े बड़े ज्ञानी ध्यानी मन, बैठे हवय हजार। आँखी मा अन्याय देख के, काबर हे लाचार।। नारी ताकत ला झन भूलौ,  रखलव भैया याद। धरै भेष ला चंडी के जग ला, कर देथे बरबाद।। मूक सझम के नारी ऊपर, झन कर अत्याचार। झन बनाव नारी ला चंडी, जग ला रखव सँवार।। -हेमलाल साहू

रोला छन्द

सुक्खा खेती खार, झने कर आना कानी। रोवत आज किसान, देख ले बरखा रानी। सुनले आज पुकार, गिरादे अब तो पानी। नइहे जग मा जान, बिना पानी जिनगानी। -हेमलाल साहू

चौपई छन्द (पताल)

रहिथे गोल गोल जी, दिखथे लाल। बारी मा फरथे जी, करय कमाल।। जेकर हे पताल गा, सुनलव नाव। घर बारी मा पाबे, सबके गाँव।। बारो महिना रहिथे, जेकर माँग। डारके बना संगी, बढ़िया साग।। बने पीसके खाले, चटनी भात। फेर बोलबे बढ़िया, तैहर बात।। रहिथे जेमा अड़बड़, संगी स्वाद। आथे सुघ्घर जेहा, बारिस बाद।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो.9977831273

(चौपई छन्द) राखी

महिना हावय भादो मास। भाई बहनी बर हे खास।। भैया ला बहनी के आस। मन मा राखे हे बिस्वास।। आगय राखी हमर तिहार। बहनी मन होवत तैयार।। बहनी राखे मया दुलार। भैया के आशीष अपार।। बाँधय जी राखी ला हाथ। सुघ्घर तिलक लगाये माथ।। रखय सुखी जी दीनानाथ। रहय सदा भाई हा साथ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

(चौपई छन्द) बरखा

बरखा के आवत हे सोर। पानी गिरत गली अउ खोर।। सावन महिना के हे जोर। नाचत हावय बन मा मोर।। धरै मेचका सुघ्घर राग। झिंगरा गावत हावे फाग।। देख केकड़ा पीटत डोल। घोंघी खेलय घांदी गोल।। मछरी करय तमासा आज। डोरी खेलय सुघ्घर गाज।। हरियर हरियर खेती खार। तरिया नदिया भरय अपार।। बरखा रानी लावय प्रेम। दुनिया जेकर हावय फेम।। बढ़िया बढ़िया खेलय गेम। मजा करय जी हर टेम।। - हेमलाल साहू ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

चौपई छन्द

जिनगी मा नइ हावय टेम। तँय सुनले गा बाबू हेम।। रखबे मन मा तैहर प्रेम। जग मा तभे कमाबे नेम।। महिना आय जेठ बैसाख। देख उड़त माटी अउ राख।। तात तात ले चलथे झाँझ। होत बिहनिया ले जी साँझ।। सुनते ही मुँह पानी आय। खाये मा दांत कटकटाय।। काम अबड़ एहा तो आय। आत जात सबला ललचाय।। - इमली लगथे जइसे जाँगर टोर। काबर हारत मन हा मोर।। बूता मा अब मन नइ भाय। जिनगी काबर हे अलसाय।। बाँधत हव मैं मन ला जोर। हौय पोठ मन कसके मोर।। आस कभू झन छूटय खोर। नानव जिनगी मा अँजोर।। -हेमलाल साहू ग्राम - गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़ मो. 9977831273

*जय शिव शंकर* सरसी छन्द

जय शिव शंकर भोले बाबा, महिमा गावँव तोर। तन मन ला अर्पित कर देवँव, मानौ श्रद्धा मोर।। करहूँ संझा अऊ बिहनिया,  तोर नाव के जाप। तँय निरमल पावन मन वाले, बइठ हृदय में आप।। भवसागर के तारनहारी, हर दे मोरो पाप। चलहौं महूँ सुमारग मा जी, राखत मेल मिलाप।। आय महीना सावन पावन, रखिहौं महूँ उपास। करिहौं जाप ओम के मन मा, जबतक रइही साँस।। बेल पान अउ फूल चढ़ाके, पूजा करहूँ तोर। जियत मरत के बंधन छूटय, भोले बाबा मोर।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

हेम के कुंडलिया

जिनगानी मा रुख हवै, संगी बड़ अनमोल। रखबे बने सहेज के, झन कर टाल मटोल।। झन कर टाल मटोल, राख बढ़िया से भाई। रोज लगा तँय पेड़, हाँसही धरती माई।। आवय सुघ्घर देख, हमर जी बरखा रानी। लगाबोन हम पेड़, हवै जेमा जिनगानी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

हरिगीतिका छन्द

रखबे मया तँय संग मा,  करु छोड़ के तँय गोठ गा। तँय राखले बिस्वास ला, मन होय जी तब पोठ गा। अभिमान ला तँय छोड़ के, मन राख ले तँय प्रेम गा । करबे भला मन बाँध ले, जग आस हे हर टेम गा।। सुघ्घर दया के भाव रख, मन मा जगा तँय प्रेम ला। मनके कड़ू कर दूर तँय, कर जाप परभू नेम ला।। सुन आज अउ गुन आज ले, संगी समय के फेर मा। नइ हे ठिकाना जान ले, ए काल के जी हेर मा।। फैलत जहर गा रोज के, गाँवे शहर मा देख ले। मोटर अऊ गाड़ी खड़े, अउ कारखाना रेख ले।। लावत हवै जी साँस के, ए फेफड़ा के रोग ला। कुदरत हवै हलकान जी, करके जहर ए भोग ला।। -हेमलाल साहू ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

गीतिका छन्द

तँय नशा ला छोड़ संगी, बात ला तो मान ले। ए नशा हा नास के गढ़, आज तँय जी जान ले।। काल जेकर ए हवय साथी, रोग धरके आय जी। होय घर बरबाद सबके,  सुख कहाँ ले पाय जी।। गीत ला तँय गाव गुरतुर, गीतिका के छन्द मा। राग धरके पाग धरके,  बाँध ले तँय बन्द मा।। भाव भरले जी अपन तँय, राख ले मन मा दया। फोर पीड़ा तँय अपन गा, रोक झन मन के मया।। नाव मा का तोर हावय,  बात सुनले मोर गा। मेहनत कर रोजके तँय, जानही जग खोर गा। आय अकती के परब जी, ठान ले मन आज गा।। तँय परन करले करम बर, हो सफल सब काज गा। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

हाइकू

समे के फेम रोवत हवै हेम नइ हे टेम खड़ै हे काल फइले माया जाल बचे न खाल हेमलाल साहू ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्त्तीसगढ़, मो. 9977831273

हेम के कुण्डलिया

मन मा बसथे पाप हा, फइले माया जाल। सबला बइठे देखथे, चुपकन आ के काल।। चुपकन आके काल, समझ कोनो नइ पावय। पक्का हावय समय, काल भूल नई जावय।। जिनगी के दिन चार, हँसी से रहले जग मा। माया चक्कर फेर,  पाप हा बसथे मन मा।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

हेम के कुण्डलिया

माया के दुनिया हरै, बनबे झने अलाल।। मँय मँय ला छोड़ के, आदत सुघ्घर डाल। आदत सुघ्घर डाल, मेहनत के बन साथी। दान दया ला राख, जगत के बन परमार्थी।। कहै हेम कविराय, हवय माटी के काया। छोड़व मँय के मोह, हरै दुनिया के माया।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

जूनी मेला (सार छन्द)

सँजे-धजे  हे बइला गाड़ी, जावत हावय मेला। गाँव गाँव के लोग लुगाई, जावत रेलम पेला।। रखै आस दरशन के मनमा, गावत जावय गाना। जियत मरत के मेला हावय, नइ हे फेर ठिकाना।। अरे तता कहिके हाँकत हे, सुघ्घर बइला गाड़ी। बइठे लइका अउ सियान मन, धरके खूंटा काड़ी।। हवै भराये बीच खार मा, जूनी जी के मेला। आनी बानी लगै समाने, सबो डहर हे ठेला।। गुन गालव जूनी दाई के, महिमा हावय भारी। बने नहा तरिया मा जी, उज्जर हो मन कारी।। रोग शोक ला दाई हरथे, करले मनमा सुमिरन। ठगड़ी ठाठा फलते फुलथे, करथे जब मन अरपन।। आय सेरसेरा पन्नी मा, मेला ला लगवाथे। जूनी जी के महिमा गावत, मोरो मन सहराथे।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

सुन ले मोरे मितवा (सार छंद)

सुन साथी रे सुन संगी रे, सुन ले मोरे मितवा। आ जाबे रे आ जाबे रे, मोर जनम के हितवा।। जग हा सुन्ना मोला लागे, सुरता दिन भर आवै। तोर बिना जग बइरी होंगे, अबतो मन नइ भावै।। बोझ लगै जिनगी हा मोरे, सावन भादो लगथे। आँखी ले पानी हा मोरे, तर तर तर तर बहथे।। मोर  कटत  हावे  जिनगी हा, तोरे रस्ता देखत। आस हवै तोरे दरशन के, बइठे हव मन झेलत।। खाना  पानी  नई  सुहावे,   जग मा मन नइ भावै। दूखन भूखन जिनगी कटथे, पगली जगत बुलावै।। हवै ठिकाना का जिनगी के, आजा रे अब जोही कहाँ लुकागे तैहा बनके,  जग मा गा निरमोही।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो.9977831273

हेम के कुण्डलिया

सजथे सुघ्घर गाँव मा, देखव हाट बाजार। आनी बानी साग हे, लेवव छाँट निमार।। लेवव छाँट निमार, रहय झन एको कड़हा। ताजा ताजा ताय, तराजू मा ले मड़हा।। कहत हेम कविराय, हाट गाँवे मा लगथे। घूमत बढ़िया देख, हाट तो सुघ्घर सजथे।। बगरे जग मा देख ले, कतका गा अँधियार। बढ़िया सोच बिचार के, दियना मनके बार।। दियना मन के बार , जगत मा लाव अँजोरी। दुआ भेद ला छोड़, रहन एक्के बँध डोरी।। हवय मेहनत सार, भाग हा जगही हमरे। आवय नवा अँजोर, देख ले जग मा बगरे।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

हेम के कुण्डलियाँ

दारू ला अब बेचही, देखव जी सरकार। पइसा खातिर आज ये, करत हवै बेपार।। करत हवै बेपार, मारही अब मनखे ला । दारू भट्टी खोल,   लगाही मेला ठेला ।। पीके कतको रोज, मरँय झँगलू बुधवारू। हद होगे सरकार,  बेचही अब ले दारू।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

नारी

नारी दव जग आन जी, झन कर अत्याचार। नर नारी से जग चलै, इहि मा जिनगी सार।। इहि मा जिनगी सार, मान नारी के राखव। नारी जग पहचान, जेन ला अबतो जानव।। कहत हेम कविराय, हवै महिमा हा भारी। देश बढ़ावत शान, आन दव जग मा नारी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

होरी के संग जोही के सुरता

देख महीना फागुन आगे, मन नइ भावे मोर। चढ़ै नशा फागुन के हावे, रंग मया के तोर।। रोज रोज के सपना आथे, दिल मा उठै हिलोर। रहिथे मोरे मन उदास गा,  सुरता आथे तोर।। बइठे रद्दा जोहत हव मँय, आजा जोही मोर। तोर बिना सुन्ना हावे गा, गाँव गली ए खोर।। आ ले जाबे पुरवाही तँय, संदेसा ला मोर। पहुँचा के दे आबे मोरे, मया प्रीत के सोर।। तोला जोहत जोहत जोही, आय बसन्त बहार। फुलगे फूल देख परसा मा, आमा मउरे डार।। अबतो आजा जोही मोरे, काबर तय तरसाय। होरी के आगे तिहार हा, काबर तय दुरिहाय।। लाल लाल हे रंग उड़त गा, बजत नगाड़ा ढोल। भेजे हव संदेश मया के, अबतो आँखी खोल।। मोरे आँखी खोजे तोला, राखे मया अपार। होरी आगे अबतो आजा, घर लागत हे खार।। -हेमलाल साहू ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो.9977831273

आगे फागुन (सरसी छंद)

आगे हावय फागुन महिना, रंग उड़त हे लाल। मया प्रीत के रंग रंगथे, सबो लगावत गाल।। ढोल नगाड़ा हवै बजावत, फागुन के हे राग। खेलत कूदत नाचत सुघ्घर, गावत हावे फाग।। चढ़ै नशा फागुन के हावय, लाय बसंत बहार। झुमर झुमर के मैना नाचे, आमा मउरे डार।। लाल लाल परसा हा फूले, फागुन मा छतराय। पींयर पींयर सरसों फूले, भँवरा मन मँडराय।। मया मया ला खोजत हावे, धरे मया के रंग। खेले बर होली फागुन के, मन मा भरे उमंग।। गाँव गाँव मा रौनक लायव, फागुन रंग उड़ाय। आगे हावय फागुन महिना, मिलके सबो मनाय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो 997783173

सुरता कोदूराम दलित जी के

पुरखा मन के सुरता करके, मन भर के कर याद। जेमन  हमर  धरोहर बर जी, डारिस पानी खाद।। खादी  कुरता  धोती  टोपी,  रहिस हवै पहिचान। जन जन के ओहर सँगवारी, बड़का प्रतिभावान।। जिला दुरुग के अर्जुन्दा मा, जेकर टिकरी गाँव। रहिस दलित जी गाँधीवादी, धरै मया के छाँव।। जनम दलित जी के जब होइस, सबके मन ला भाय। पाँच  मार्च  के  उन्निस सौ दस, महिना फागुन आय।। नाँव  ददा  के  राम  भरोसा, रहिस गरीब किसान। खेत खार मा बचपन बीतिस, पाइस बढ़िया ज्ञान।। छोट  बड़े  सब  एक  बरोबर, देवय सबला मान। सरल सादगी जिनगी जेकर, मीठा रहिस जुबान।। आजादी के ओ दीवाना, कलम बनिस तलवार। देश राग मा भर धुन गाइस, मन मा भरके प्यार।। जेला माटी के कवि कहिथे, धरै शब्द भंडार। देख छन्द बिद्या मा रचना, दोहा सरसी सार।। लिखै   ठेठ   छत्तीसगढ़ी   मा,  भाव रखै ओ पोठ। हास्य व्यंग्य के कविता पढ़के, करय सियानी गोठ।। जन भाखा ले मान बड़िस हे, गावव गौरव गान। भाखा होइस हमर पोठ गा, मिलिस बने वरदान।। कोदूराम  दलित  जी  के सपना,  पूरा होही जान। पढ़बो लिखबो छत्तीसगढ़ी, लइका अऊ सियान।। जनभाखा के अब बन जाही, दुनिया मा पहिचान। जन जन गुन गाही भाखा