करलौ पहली वंदना, मानव जस भगवान। मिले ज्ञान गुरु बिन नहीं, धरलौ सुघ्घर ध्यान। धरलौ सुघ्घर ध्यान, सही रास्ता पकड़ाही। मन के इरखा फेक, सत्य के नाम जगाही।। कहय हेम कविराय, बात ला गुरु के सुनलौ। जिनगी ला दे तार, वंदना गुरु के करलौ।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा छंद साधक, छंद के छ सत्र -१
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।