सीधे मुख्य सामग्री पर जाएं

संदेश

अक्तूबर, 2015 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

माहामाया दाई ( हेम के चौपाई छंद)

जय जय माहामाया दाई। विनती सुनले मोरो माई। तँय तरिया के पार विराजै। नीम छाँव ला हावव साजै।। महिमा ला गावय नर नारी। करे गाँव के तँय रखवारी। आवय सब जन तोर दुवारी। दुख पीड़ा ला हरथस भारी। दुर्गा काली सब तहि दाई। सब जन बर हव आप सहाई।  सबो पुकारे ज्ञानी ध्यानी। तोर नाव ले माता रानी। सबके जन के तहि महतारी। दीन दुखी के तोर पुजारी। जग मा सबसे हावस न्यारी। हे गौरी अम्बे राज दुलारी। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, पोस्ट-नगधा तह.-नवागढ़, जिला-बेमेतरा(छ. ग.)

गणपति बाबा (सरसी छंद)

गूँजत हावय जयकारा हा, गणपति बाबा तोर। साँझ बिहनिया ले पूजा के, उड़त हवे जी सोर।। भादो के शुक्ल चतुर्थी मा, लिए जगत अवतार। आय बुद्धि अउ बल के दाता, जग के तारनहार।। शिव शंकर अउ उमा पार्वती, दाई बाबू आय। एक दंत अउ दयावन्त हा, सबके मन ला भाय।। सजे धजे बड़ गद्दी रहिथे, किसम किसम के रंग। गाँव गाँव अउ गली गली मा, रमथे मुसवा संग।। बड़का जनी सूड हावे जी, बड़का भारी पेट।। भोग लगे लड्डू मोदक के, चढ़ा मया के भेट। करथे सेउक सेवा मन से, बजा मंजीरा डोल। बाबा के महिमा ला गावै, मनके आपा खोल।। अपन राख गठरी सुरता के, बाँध मया के गाँठ। रिद्धि सिद्धि के संग तोर मँय, करहूँ पूजा पाठ।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, पोस्ट-नगधा तह.-नवागढ़, जिला-बेमेतरा(छ. ग.)

हेम के रोला छंद

संग मिले बर मोर, तोर दिल धड़कत हावय। तोर मया हा हवे, तभे सुरता  मन लावय। सँगवारी ला बोल, मिले बर तँय हर आथच। हाँसत रोवत रोज, मोर मन ला बड़ भाथच। दिल ला मोर लगाय, मया ला सुघ्घर पाथच। रहि रहि के तँय रोज, सुधे ला मोर गवाथच।। घर मा मोला देख,  मार गारी ल खवाथच। मन मंदिर मा अपन, मोर चेहरा बसाथच। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ. ग.)