छत्तीसगढ़ी मा करवँ, मँय जिनगी भर गोठ। मोर बढ़े नित ज्ञान हाँ, होवय भाखा पोठ।। मोर माटी मोर हावय, देख ले अभिमान रे। मोर जिनगी बर बने हे, आज जे वरदान रे।। देख करथौ गान ला मँय, नित धरे ...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।