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मोर माटी

छत्तीसगढ़ी मा करवँ, मँय जिनगी भर गोठ। मोर बढ़े नित ज्ञान हाँ, होवय भाखा पोठ।। मोर माटी मोर हावय, देख ले अभिमान रे। मोर जिनगी बर बने हे, आज जे वरदान रे।। देख करथौ गान ला मँय, नित धरे ...

सरसी छंद (गीत- मोर मया के)

मोर मया केे सुनले गोरी, तँय हर दिल के बात। तोर मया के छीन छीन ओ, सुरता मोला आत।। जनम जनम के नाता हावे, मन हर गावे गीत। तोर मोर ओ सदा सदा ले, जग मा रइही प्रीत। गुस्सा करके मोला सजनी, ...

हेमलाल साहू के चौपाई छंद

मच्छर अपन जहर फैलावत। गाँव शहर के घर घर जावत। डेंगू के बीमारी बगरावत। कहर मौत के हे बरपावत।1। देख राज मच्छर के आगे। तोर स्वच्छता कहाँ गवागे। रोज एक झन ला मरना हे। मच्छर के तो ...

सरकार के संचार क्रांति योजना

आगे जी संचार क्रांति हा, होही खूब विकास। मनखे सबो आलसी बनही, करही टाइप पास।1। घर घर बाँटे मोबाइल ला, रमन कका हा भेज। जम्मो लाभार्थी लेवत हे, बिना करे परहेज।2। ढकोसला संचार क्र...

ताटंक छन्द -मया के सुरता

गोरी तोर मया के सुरता, रही रही के आथे ओ। तोला देखे बर आँखी हाँ, ये मोर तरत जाथे ओ।1। तोर बिना जग सुन्ना लागे, कुछु मोला नइ भावे ओ। रात मोर बर बइरी होगय, नींद कहाँ ले आवे ओ।2। काबर हव...

हरेली तिहार सरसी छंद

हरियर हरियर डारा पाना, हरियर दिखथे खार। आगय आगय हमर हरेली, पहली आज तिहार।1। नोनी बाबू अउ सियान मन, होंगे गा तैयार। कोरे गाँथे बड़ चुकचुक ले, बइठे तरिया पार।2। लीपे पोते घर अँगन...

हेम के कुण्डलिया

भाई सुनले गोठ ला, बने लगा के चेत। बीड़ी गुटका संग मा, दारू जीवे लेत।। दारू जीवे लेत, काल के जानव संगी। करथे घर ला नाश, लाय पैसा के तंगी।। कहे हेम कविराय, नशा छोड़े म भलाई। सुखी रही प...

पकैया छंद (मितानी)

छन्न पकइया छन्न पकइया, बनही अमर कहानी। बाँधे राख  मया  के  रिस्ता, रखले मान  मितानी।। छन्न पकइया छन्न पकइया, मिलके  आगू  जाबो। सुख दुख मा रहिके सँगवारी, जिनगी साथ निभाबो। छ...

हेम के कुण्डलिया(बेटी)

बेटी घर के शान ये, देवव मया दुलार। लक्ष्मी दुर्गा अउ हरे, सीता के अवतार।। सीता के अवतार, मान बेटी के राखव। देवव गा सम्मान, भेद भाव झने मानव।। कहे हेम कविराय, धरे सुख के जी पेटी। ...

हेम के कुण्डलिया

दाई   बाबू   मोर   हे,  चारो   तीरथ  धाम। रोजे साँझ बिहान गा, जेकर  जपथौ नाम। जेकर जपथौ नाम, करँव मयँ हर जी पूजा। मानव  मयँ  भगवान, अऊ  नइ हावे दूजा। कहत  हेम  कविराय, बात  मानव...

(*त्रिभंगी छंद*) नारी

सबके महतारी, जग मा नारी, ओकर मयँ नित, मान रखवँ। हे राज दुलारी, सबके प्यारी, जेकर मयँ नित, गान करवँ।। कहिथे जग तरनी, विपदा हरनी, जेहर महिमा, सार हवय। नित आगू जावय, नाम कमावय, जग के ओह...

*इंटरनेट*(हेम के कुण्डलिया)

जबले गा आइस हवे, जग मा इंटरनेट। जग हा समटागें हवे, करले सबसे चेट।। करले सबसे चेट, कहा दुरिहा अब हावय। करके मेल मिलाप, ठसन ले गोठीयावय।। पूछय जम्मो हाल, भेंट ला करके सबले। बाँध...

*शिव भोला*(हेम के कुण्डलिया)

सुनले शिव भोला बने, करत हवव गोहार। तोर शरण मा आय हव, करदे नइया पार।। करदे नइया पार, रहे ना मन अभिलासी। जग के तारन हार, तही घट घट के वासी।। कहत हेम कविराय, मैल ला मेटव मनले। कण्ठ बि...

हेम के कुण्डलिया

सुनले बैसाखू कका, बिगड़े घर तन खेत। बरबाद करँय ये नशा, बने लगा ले चेत। बने लगा ले चेत,  रोग लावय गा भारी। रहय न घर अउ घाट, संग रहिथे लाचारी। कहत हेम कविराय, बने तँय एला गुनले। नशा क...

हेम के दोहे

1) खुल्ला हरव किताब मँय, पढ़के लेबे देख। हेम मोर नावे हवे, लिखथव कविता लेख।। 2) नगधा मोरे पोस्ट हे, गिधवा हावय गाँव। जिला हवय बेमेतरा, जिहाँ मया के छाँव।। 3) महमाया दाई रखे, किरपा अप...

*सुखी सवैया*

सुमता रखले घर मा बढ़िया, परिवार सुखी रइही जिनगी भर। मिलके रहिबे सबके सुनबे, तबतो चलही भइया जिनगी हर। रख एक बरोबर गा सबला, इहि मान कमालव जी जिनगी बर । तँय राख दुलार बने सबला, सुन ...