किसम किसम के खेल ल खेलन, मिलके जी बाँटी भौरा। बचपन के सुरता आवत हे, महावीर गौरा चौरा।1। रेस टीप अउ खोखो ठप्पा, पचरंगा गिल्ली डंडा। पतरगढ़ी फुगड़ी खेले बर, अपनावन कतको फ...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।