मँय चाहत हव
मँय चाहत हव जी सबो, मिलके रहिबो एक।
करबो साहित बर बने, काम सबो मिल नेक।।
मँय चाहत हव मन रहै, सुघ्घर काबू मोर।
करके चिंतन साधना, लाँवव नवा अँजोर।।
मँय चाहत हव देश मा, आवय नवा अँजोर।
सबके घर रहतिस खुशी, देत मया के सोर।।
मोला अइसे लागथे
मोला अइसे लागथे, देश बदलही मोर।
आही सुघ्घर देश मा, फेर नवा अंजोर।।
मोला अइसे लागथे, बढ़ी मया के डोर।
पर सेवा जिनगी रही, सबके लेवत सोर।।
मोला अइसे लागथे, गीता जग हे सार।
करै पाप के नाश ला, बिसनू ले अवतार।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा
तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)
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