आँखी रहिके अंधरा, हावय मोर समाज। बिकथे हावय न्याय हा, करे दोगला राज।। धरम करम बस नाव के, पास नहीं ईमान। सच के काटत हे गला, हाँसत हे शैतान।। गूँगा बहरा न्याय हे, सुने नहीं फरियाद। मोर मोर के शोर हे, पैसा बनय दमाद।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।