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जुलाई, 2016 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

आँखी रहिके अंधरा (हेम के दोहे)

आँखी रहिके अंधरा, हावय मोर समाज। बिकथे हावय न्याय हा, करे दोगला राज।। धरम करम बस नाव के, पास नहीं ईमान। सच के काटत हे गला, हाँसत हे शैतान।। गूँगा बहरा न्याय हे, सुने नहीं फरियाद। मोर मोर के शोर हे, पैसा बनय दमाद।। -हेमलाल साहू  ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

सावन के महिमा (हेम के सार छंद)

सबो डहर देखव सुग्घर, बरसय रिमझिम पानी। सबके मन में आस जगावय, हाँसय सबो परानी।। अतल तला तल पानी भरही, जम्मो नरवा नदिया। नाचय जल के रानी मन, देखव कतका बढ़िया।। सुखी रही जिनगानी हर, शिव ला आँव मनाबो। श्रद्धा मन ले दया मया के, सुघ्घर फूल चढ़ाबो।। पहली घर खुशयाली लावय, घर मा आय हरेली। पूजा करथे औजार सबो, फोड़य नरियर भेली।। नीम दुवारी डारा खोचय, घर घर राउत भैया । चढ़ै सबो लइका मन गेड़ी, लोदी खावँय गैय्या।। भागत लावय सावन संगी, देख मया के साखी। भाई बहनी रद्दा जोहय, आवय भादो राखी।। करिया करिया बादर देखत, निक लागे सँगवारी। आय महीना सावन के जी, हावय महिमा भारी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)

कड़ुवा गोठ (हेम के उल्लाला छंद)

जिनगी के तो भोगना, लिखै दियै भगवान हा। कथनी करनी ला बने, दिखे नहीं इंसान हा।। आँखी रहिके अंधरा, कइसे बनगे ज्ञान हा। राज दोगला हर करै, हाँसत हे शैतान हा।। दुख पीरा ला भोग थे, जिनगी होंगे जंग गा। मारत हावय अउ मरे, देखव मनखे रंग गा। कहाँ जियत मा पूछथे, कोनो बेटा बाप ला। मर जाथे ता धोत हे, मनके अपने पाप ला।। कलजुग के दुनिया हवे, करै दिखावा लोग हा। आँसू पइसा मा बिके, अन्तस नइहे सोग  हा।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

आवव संगी (हेम के सार छंद)

आवव संगी आवव साथी, अंजोर नवा लाबो। छाँव मया के संगी आवव, माटी मा बगराबो।। हमर सोनहा भुइँया ला जी, सुघ्घर सरग बनाबो। छत्तीसगढ़ी माटी मा जी, नव बिहान ला लाबो।। सबो डहर संगी माटी के, मँहक हमन मँहकाबो। पावन हवय हमर भुइँया हा, सुघ्घर मया जगाबो।। अपन भरोसा हम जाँगर के, नव विकास ला गढ़बो। पुरखा के सपना ला संगी, मिलके पूरा करबो।। जय किसान अउ जय जवान के, नारा सफल बनाबो। भुइँया के सेवा कर संगी, जिनगी अपन बिताबो।। आगे हावय दिन बादर हा, माटी करजा छुटबो।। पढ़ लिख अउ गढ़ मुख भाषा मा, खूब मया ला लुटबो। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

बेरोजगार के दरद (हेम के दोहे)

करे रात दिन मेहनत, अपने जाँगर पेर। दिन भर भूखा ओ रहै, जिनगी के हे फेर।। करजा बोड़ी ला करे, बेटा खूब पढ़ाय। ददा आस मनमें रखै, बने नौकरी पाय।। हाथे मा डिग्री धरै, दर दर भटकत जाय। इहाँ नौकरी ना मिलै, ठोकर रोजे खाय।। बेटा चिन्ता ला करै, कइसे करज छुटाय। मोर पढ़ाई मा ददा, पूँजी अपन लुटाय।। काम मिलै मोला नहीं, घर का मुख देखाँव। बोझ ददा के अब नहीं, तन मा आग लगाँव।। पढ़े लिखे मा सब गये, खेत खार बेचाय। खाये बर दाना नहीं, जिनगी कौन चलाय।। बड़े बड़े वादा करै, साथी अपन बताय। जाबे संगी तीर मा, घर ले देत भगाय।। पूछत हावँव आज मँय, काबर अपन बनाय। प्रवचन हमला ओ सुना, घर मा मजा उड़ाय।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

दोगला (हेम के दोहे)

राजनीति मा दोगला, करे देख ले राज। आँखी रहिके अंधरा, होगे हवे समाज।। दुख पीड़ा पावच नहीं, मानवता ला खोय। दूसर के जाँगर रहय, अपन नाव ला बोय।। पइसा मा देखव इहाँ, मानवता बेचाय। रुखवा काँटे सोझवा, छोड़ लेड़गा जाय।। जगह जगह मा कोकड़ा, डेरा हवे जमाय। ताकत बइठे ओ हवे, मउका फेर ग आय।। कउनो बेद पुरान के, कहाँ रखे हे ज्ञान। आँखी रहिके अंधरा, बनगे हे इंसान।। -हेमलाल साहू ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ. ग.)

हेम के दोहे

माटी बन माटी मिलै, सुघ्घर लै आकार। माटी ला पूजे सबे, जिनगी बर इहि सार।। माटी के बेटा हमन, करथन सबसे प्रेम।  राज भगा ले दोगला, आही हमरे टेम।। सागर साहित साधना, जस उतरे तस डूब। मिलथे कहाँ अथाह जी, पानी दिखथे खूब।। मन के ईष्या फेक के, मया सबो से राख। मानव मानव एक हन, राख बचाके साख।। जिनगी के दिन चार हे, गाँठ बाँध ले हेम। काल हवे सबसे बड़े, राख मया अउ प्रेम।। जस रगड़े तँय रत्न ला, चमके ओकर रंग। लेवन रहिके ज्ञान ला, जिनगी भर गुरु संग।। कठिन हवे साधना, साहित के बड़ जान। बिना मेहनत ना मिलै, भैया कउनो ज्ञान।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

सियानी गोठ (हेम के दोहे)

मनखे मनखे एक हन, कहिस कबीरा जान। मिलै नहीं गुरु के बिना, सुनलव संगी ज्ञान।। सुन लौ संगी बात ला, फेर करव जी गोठ। मिलथे सीख सियान के, रखे बात ला पोठ।। कारज ला पहली करौ, फेर राख अधिकार। जइसे धान किसान बो, फेर लुये सब खार।। अच्छा बात सकेल के, एक एक रख बात। गुरु के चलहूँ संग ता, खाव नहीं जी लात।। मउहा संगी जान ले, अबड़ दूर ममहाय। झूठ लबारी के सबे, माया हे फइलाय।। भटकत रहिथे देख मन, कौन करे जी माफ। गुरु के बानी हर करें, मन ला सुघ्घर साफ।।   -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)