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अमर अटल बनहूँ फौजी (हेम के कुकुम्भ छंद)

कहिथे नोनी सुन दाई ला, अमर अटल बनहूँ फौजी।

अपन देश के रक्षा खातिर, करहूँ मँय हर मन मौजी।।


मोरो रग रग मा भारत हे, बनहूँ मँय हर मर्दानी।

सब दुश्मन ले लोहा लेहूँ, बन मँय झाँसी के रानी।।


जय भारत जय भाग्य विधाता, रोजे मँय गावँव गाथा।

हे भारत भुइँया महतारी, अपन लगालँव तोला माथा।।


बइरी मन के काल बनव मँय, घुसे नहीं सीमा द्वारी।

खड़े तान के सीना रइहूँ, सौ सौ झन बर मँय भारी।।


काली दुर्गा रणचंडी बन, बइरी ला मार भगाहूँ।

भारत के वीर तिरंगा ला, सदा सदा मँय लहराहूँ।।


अटल खड़े रइहूँ पहाड़ जस, अपन देश के मँय सीमा।

देख देख बइरी मन भागय, ताकत रखहूँ जस भीमा।।


दुश्मन कतको मार भगाहूँ, रहूँ एकदम मँय चंगा।

मर जाहूँ ता पहिरा देबे, मोला तँय कफन तिरंगा।।


जय भारत जय भारतीय के, बोले दुनिया जयकारा।

अपन वीर बलिदानी मन के, गूँजय सबो डहर नारा।।


-हेमलाल साहू

छंद साधक सत्र-01

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)

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