पेट भरे खातिर जाँगर ला, जौन पेरत जाय।
ढेला पखरा माटी के सँग, बोझ सबे उठाय।
गार पसीना महल अटारी, जौन सदा बनाय।
खुद के जेकर घर नइहेे जी, रात कहाँ पहाय।1।
रॉपा हँसिया कुदरी कतकोे, तोर हे औजार।
तोर मेहनत ले पावय सब, अन्न के भण्डार।
तोर श्रम ले फैक्टरी चले, अउ चले व्यापार।
सबके पेट भरे तँय भूखा, तोर हे परिवार।2।
रोज रात दिन करें मेहनत, अपन जाँगर पेर।
फुटहा काबर तोर करम हे, भाग्य के अंधेर।
भेद भाव ला छोड़ करे तँय, मेहनत सब मेर।
भाग्य गढ़े सब तोर करम ले, तोर दुच्छा फेर।3।
सर्दी गरमी भूख प्यास ला, तँय सहे हर बार।
रोड बनाथस जंगल झाड़ी, संग काँट पठार।
तोर भुजा मा ताकत बसथे, तोर हे उपकार।
कहिथे तोला दुनिया भैया, देश के बनिहार।4।
- हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा
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