नैतिक शिक्षा नैतिक शिक्षा जग बगरा के, लाव नवा सुराज। जात पात ला ऊँच नीच के, पाट दव गा आज।। भैर भाव ला मन के मेटव, करव सबसे प्रेम। जिनगी के दिन बस चार हवय, फेर नइहे टेम।। राजनीति र...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।