सजगे दाई तोर दुवरिया, गूँजत हे जयकार। लाली लुगरा पहिरे दाई, किसम किसम के हार।। आगे हावय नव दिन के ये, सुघ्घर ओ नवरात। रिगबिग रिगबिग दीया बरथे, महिमा तोरे गात।। नव दिन ले रखथे ...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।