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फ़रवरी, 2019 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के कुण्डलिया

रखहूँ मँय हर मान ला, मत रो दाई मोर। मुख के भाषा मोर तँय, मया राखहूँ तोर।। मया राखहूँ तोर, करव झन गुस्सा दाई। जिनगी के आधार, तोर सँग मोर भलाई।। कहत हेम कविराय, मया मँय नित करहूँ। ग...