रखहूँ मँय हर मान ला, मत रो दाई मोर। मुख के भाषा मोर तँय, मया राखहूँ तोर।। मया राखहूँ तोर, करव झन गुस्सा दाई। जिनगी के आधार, तोर सँग मोर भलाई।। कहत हेम कविराय, मया मँय नित करहूँ। ग...
जनम जनम के बंधना, मया प्रीत के छाँव। भुइँया के बेटा हरव, जेकर महिमा गाव।। मोर छत्तीसगढ़ी रचना कोठी।