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चौमासा चौपाई छंद

चौपाई

चार महीना के चौमासा। लावय मन मा सुघ्घर आसा।
सबके हाँसत हे जिनगानी। आवत देखत बरखा रानी।1।

काँटा खूँटी करय बिनाई। होवय आसाढ़ म बोवाई।
नागर मा करके जोताई। बोवय धान ल बड़का भाई।2।

सावन आय छाय अँधियारी। दिखथे बदरी कारी कारी।
रात बरोबर दिन हा लागय। बादर मा जा सुरुज लुकावय।3।

बिजली हा बादर मा लउके। गरज गरज के ओहर कड़के।
घुमड़ घुमड़ के बरसे पानी। सुघ्घर होवय हमर किसानी ।4।

देख मेचका मन नरियावय। इंद्र देव ला इहाँ बुलावय।
झींगुर मन हर सोर मचावय। चौमासा हा उनला भावय।5।

हरियर हरियर देखव काँदी। घोंघी मन खेलत हे घाँदी।
मछरी मन हर कूदत नाचत। खड़े कोकड़ा ओला ताकत।6।

भरे लबालब नरवा तरिया। पानी पानी दिखथे नदिया।
कतको बोवय भाजी पाला। पनपे कीड़ा मन के जाला।7।

 सावन भादो आश्विन कहना। आय प्रकृति बर सुग्घर गहना।
हरियर रुख राई के पाना। देख देख मन गावय गाना।8।

अपन प्रकृति हा रंग दिखावय। सरग बरोबर भुइँया लागय।7।
 धरम करम के महिना आवय। चौमासा सबके मन भावय।9।।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा
तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा




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