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संदेश

अक्तूबर, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

त्रिभंगी छन्द

जय जय हो भुइँया, परथँव पँइया, रोजे तोरे, ध्यान धरँव। मोरे महतारी, तँहि सँगवारी, अपन राज के, मान रखँव।। बाढ़य गरिमा, गावँव महिमा, दाई जब मँय, गान करँव। मन ला मँय खोलँव, भाषा बोलँव, इँहचे के ए, मोर कहँव। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा (छत्तीसगढ़) मो. 9977831273

*कज्जल छन्द*

1) वरुण देव हा जी रिसाय। पानी आसो नइ गिराय।। रोवत नदिया बहत जाय। हाल देख भुइँया सुनाय। रोवत हावे सब किसान। आसो होइस नहीँ धान। भुइँया जेकर हवै जान। सुक्खा मा छूटत परान। पानी के नइ पास धार। सुन्ना हावय खेत खार। रोवय बारी बइठ मरार। पानी बिन नइ हवै नार। जिनगी बर जी हवै काल। सबके निकलत हवै खाल। तीन साल परगे अकाल। होवत नइ हे अंत राल। जिनगी मा ला तँय बहाल। वरुण देव करदे कमाल। बारिश होय टरै दुकाल। मन हरियर हो इही साल। 2) जप ला करके राम राम। छाँव रहय या बने घाम। करले बढ़िया सँगी काम। होयव जग मा तोर नाम। जाँगर बढ़िया सँगी पेर। जिनगी मा नइहे अँधेर। पाबे सुख तँय बने फेर। जिनगी बर तँय समे हेर। होवय चर्चा गली खोर। अपन मेहनत लगा जोर। जस हा बाढ़त बने तोर। पानी मा आलस ल बोर। छोड़व मनके अंहकार। दुरिहा होवय अंधकार। दिया करम के बने बार। आवय लछमी घर दुवार। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा

बरवै छन्द

*महँगाई * बाढ़े भावे कसके, हर दिन साल। बइरी महँगाई हा,  बनके काल।। झार गोंदली मारत, बइठे हाट। होवय चर्चा जेकर, रस्ता बाट।। लाल लाल होवत हे, सबके आँख। मिरचा बइरी देवत, कसके काँख।। रोवात हवय सबला, देख पताल। संग कोचिया रहिके, करें बवाल।। जनता  के मरना हे, बाढ़त दाम। काम धँधा तो नइहे, फोकट राम।। नेता  मन सब बइठे  देखत हाल। अपन भरे बर कोठी, चलथे चाल।। शासन ला का चिंता, भष्टाचार। परगे महँगाई के, सबला मार।। *मोर मया के पाती * मोर मया  के पाती,  ले  संदेश। सबला बढ़िया राखे, मोर गनेश। बबा डोकरी दाई, जय सतनाम। बाबू दाई दीदी, करवँ प्रणाम।। भैया भाभी संगी, कर स्वीकार। भेजत हव संदेशा, जय जोहार।। घर अउ अँगना बढ़िया, होही मोर। सपना देखत रहिथव, रतिहा जोर।। बने मनाबो मिलके, हमन तिहार। आहू  देवारी  मा, दिन  गुरुवार।। दीया हमन जलाबो, घर अउ द्वार। लाबो बढ़िया जग मा, नव उजियार।। जगमग जगमग होवय, घर अउ खोर। पढ़य लिखय नोनी अउ, बाबू मोर।। राखय सबला बढ़िया, खुश भगवान। आगू जावय बढ़िया,  मोर  किसान।। सबझन ला पायलगी, अउ जय राम। मोर कलम ला  देवत,  हव विश्राम।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पो

*(किरीट सवैया)*

1. गुरु  आवत जावत सोवत मैं गुरु के गुन रात अऊ दिन गावव। जेकर जी सुनके महिमा अबतो बड़ मैं हर तो इतरावव। पावव ताकत मैं गुरु के अबतो हर संकट मैं ह पुकारव। मार इहाँ गुरु के मन मंतर मैं सबके मनके भूत भगावव।। 2. *साक्षरता*   साक्षर भारत देश बने हमरो बनही अब मानत हावय। रोशन होवय देश बने अब साक्षरता अपनावत हावय। ज्ञान बने सबला मिलही हमरो अब देश ह जागत हावय। देख सबो मनखे पढ़के बढ़िया अब ज्ञान ल पावत हावय। 3. *सुरता *  आवत हावय रात अऊ दिन जी सुरता कइसे रह पावव। रोवत रहिथे मनहा दुखला अपने कइसे ग सुनावव। हावव मैं दुरिहा अपने घर ले कइसे ग समे ल बितावव। आँख भरे मन भींजत मोर रहे कइसे दिन ला ग गुँजारव। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा पोस्ट नगधा