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त्रिभंगी छन्द

जय जय हो भुइँया, परथँव पँइया, रोजे तोरे, ध्यान धरँव। मोरे महतारी, तँहि सँगवारी, अपन राज के, मान रखँव।। बाढ़य गरिमा, गावँव महिमा, दाई जब मँय, गान करँव। मन ला मँय खोलँव, भाषा बोलँव, इँ...

*कज्जल छन्द*

1) वरुण देव हा जी रिसाय। पानी आसो नइ गिराय।। रोवत नदिया बहत जाय। हाल देख भुइँया सुनाय। रोवत हावे सब किसान। आसो होइस नहीँ धान। भुइँया जेकर हवै जान। सुक्खा मा छूटत परान। पानी ...

बरवै छन्द

*महँगाई * बाढ़े भावे कसके, हर दिन साल। बइरी महँगाई हा,  बनके काल।। झार गोंदली मारत, बइठे हाट। होवय चर्चा जेकर, रस्ता बाट।। लाल लाल होवत हे, सबके आँख। मिरचा बइरी देवत, कसके काँख।। ...

*(किरीट सवैया)*

1. गुरु  आवत जावत सोवत मैं गुरु के गुन रात अऊ दिन गावव। जेकर जी सुनके महिमा अबतो बड़ मैं हर तो इतरावव। पावव ताकत मैं गुरु के अबतो हर संकट मैं ह पुकारव। मार इहाँ गुरु के मन मंतर मै...