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मार्च, 2017 की पोस्ट दिखाई जा रही हैं

हेम के कुण्डलिया

माया के दुनिया हरै, बनबे झने अलाल।। मँय मँय ला छोड़ के, आदत सुघ्घर डाल। आदत सुघ्घर डाल, मेहनत के बन साथी। दान दया ला राख, जगत के बन परमार्थी।। कहै हेम कविराय, हवय माटी के काया। छोड़व मँय के मोह, हरै दुनिया के माया।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

जूनी मेला (सार छन्द)

सँजे-धजे  हे बइला गाड़ी, जावत हावय मेला। गाँव गाँव के लोग लुगाई, जावत रेलम पेला।। रखै आस दरशन के मनमा, गावत जावय गाना। जियत मरत के मेला हावय, नइ हे फेर ठिकाना।। अरे तता कहिके हाँकत हे, सुघ्घर बइला गाड़ी। बइठे लइका अउ सियान मन, धरके खूंटा काड़ी।। हवै भराये बीच खार मा, जूनी जी के मेला। आनी बानी लगै समाने, सबो डहर हे ठेला।। गुन गालव जूनी दाई के, महिमा हावय भारी। बने नहा तरिया मा जी, उज्जर हो मन कारी।। रोग शोक ला दाई हरथे, करले मनमा सुमिरन। ठगड़ी ठाठा फलते फुलथे, करथे जब मन अरपन।। आय सेरसेरा पन्नी मा, मेला ला लगवाथे। जूनी जी के महिमा गावत, मोरो मन सहराथे।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो. 9977831273

सुन ले मोरे मितवा (सार छंद)

सुन साथी रे सुन संगी रे, सुन ले मोरे मितवा। आ जाबे रे आ जाबे रे, मोर जनम के हितवा।। जग हा सुन्ना मोला लागे, सुरता दिन भर आवै। तोर बिना जग बइरी होंगे, अबतो मन नइ भावै।। बोझ लगै जिनगी हा मोरे, सावन भादो लगथे। आँखी ले पानी हा मोरे, तर तर तर तर बहथे।। मोर  कटत  हावे  जिनगी हा, तोरे रस्ता देखत। आस हवै तोरे दरशन के, बइठे हव मन झेलत।। खाना  पानी  नई  सुहावे,   जग मा मन नइ भावै। दूखन भूखन जिनगी कटथे, पगली जगत बुलावै।। हवै ठिकाना का जिनगी के, आजा रे अब जोही कहाँ लुकागे तैहा बनके,  जग मा गा निरमोही।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो.9977831273

हेम के कुण्डलिया

सजथे सुघ्घर गाँव मा, देखव हाट बाजार। आनी बानी साग हे, लेवव छाँट निमार।। लेवव छाँट निमार, रहय झन एको कड़हा। ताजा ताजा ताय, तराजू मा ले मड़हा।। कहत हेम कविराय, हाट गाँवे मा लगथे। घूमत बढ़िया देख, हाट तो सुघ्घर सजथे।। बगरे जग मा देख ले, कतका गा अँधियार। बढ़िया सोच बिचार के, दियना मनके बार।। दियना मन के बार , जगत मा लाव अँजोरी। दुआ भेद ला छोड़, रहन एक्के बँध डोरी।। हवय मेहनत सार, भाग हा जगही हमरे। आवय नवा अँजोर, देख ले जग मा बगरे।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

हेम के कुण्डलियाँ

दारू ला अब बेचही, देखव जी सरकार। पइसा खातिर आज ये, करत हवै बेपार।। करत हवै बेपार, मारही अब मनखे ला । दारू भट्टी खोल,   लगाही मेला ठेला ।। पीके कतको रोज, मरँय झँगलू बुधवारू। हद होगे सरकार,  बेचही अब ले दारू।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

नारी

नारी दव जग आन जी, झन कर अत्याचार। नर नारी से जग चलै, इहि मा जिनगी सार।। इहि मा जिनगी सार, मान नारी के राखव। नारी जग पहचान, जेन ला अबतो जानव।। कहत हेम कविराय, हवै महिमा हा भारी। देश बढ़ावत शान, आन दव जग मा नारी।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा, छत्तीसगढ़। मो. 9977831273

होरी के संग जोही के सुरता

देख महीना फागुन आगे, मन नइ भावे मोर। चढ़ै नशा फागुन के हावे, रंग मया के तोर।। रोज रोज के सपना आथे, दिल मा उठै हिलोर। रहिथे मोरे मन उदास गा,  सुरता आथे तोर।। बइठे रद्दा जोहत हव मँय, आजा जोही मोर। तोर बिना सुन्ना हावे गा, गाँव गली ए खोर।। आ ले जाबे पुरवाही तँय, संदेसा ला मोर। पहुँचा के दे आबे मोरे, मया प्रीत के सोर।। तोला जोहत जोहत जोही, आय बसन्त बहार। फुलगे फूल देख परसा मा, आमा मउरे डार।। अबतो आजा जोही मोरे, काबर तय तरसाय। होरी के आगे तिहार हा, काबर तय दुरिहाय।। लाल लाल हे रंग उड़त गा, बजत नगाड़ा ढोल। भेजे हव संदेश मया के, अबतो आँखी खोल।। मोरे आँखी खोजे तोला, राखे मया अपार। होरी आगे अबतो आजा, घर लागत हे खार।। -हेमलाल साहू ग्राम- गिधवा, पोस्ट नगधा, तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो.9977831273

आगे फागुन (सरसी छंद)

आगे हावय फागुन महिना, रंग उड़त हे लाल। मया प्रीत के रंग रंगथे, सबो लगावत गाल।। ढोल नगाड़ा हवै बजावत, फागुन के हे राग। खेलत कूदत नाचत सुघ्घर, गावत हावे फाग।। चढ़ै नशा फागुन के हावय, लाय बसंत बहार। झुमर झुमर के मैना नाचे, आमा मउरे डार।। लाल लाल परसा हा फूले, फागुन मा छतराय। पींयर पींयर सरसों फूले, भँवरा मन मँडराय।। मया मया ला खोजत हावे, धरे मया के रंग। खेले बर होली फागुन के, मन मा भरे उमंग।। गाँव गाँव मा रौनक लायव, फागुन रंग उड़ाय। आगे हावय फागुन महिना, मिलके सबो मनाय।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट नगधा तहसील नवागढ़, जिला बेमेतरा छत्तीसगढ़, मो 997783173

सुरता कोदूराम दलित जी के

पुरखा मन के सुरता करके, मन भर के कर याद। जेमन  हमर  धरोहर बर जी, डारिस पानी खाद।। खादी  कुरता  धोती  टोपी,  रहिस हवै पहिचान। जन जन के ओहर सँगवारी, बड़का प्रतिभावान।। जिला दुरुग के अर्जुन्दा मा, जेकर टिकरी गाँव। रहिस दलित जी गाँधीवादी, धरै मया के छाँव।। जनम दलित जी के जब होइस, सबके मन ला भाय। पाँच  मार्च  के  उन्निस सौ दस, महिना फागुन आय।। नाँव  ददा  के  राम  भरोसा, रहिस गरीब किसान। खेत खार मा बचपन बीतिस, पाइस बढ़िया ज्ञान।। छोट  बड़े  सब  एक  बरोबर, देवय सबला मान। सरल सादगी जिनगी जेकर, मीठा रहिस जुबान।। आजादी के ओ दीवाना, कलम बनिस तलवार। देश राग मा भर धुन गाइस, मन मा भरके प्यार।। जेला माटी के कवि कहिथे, धरै शब्द भंडार। देख छन्द बिद्या मा रचना, दोहा सरसी सार।। लिखै   ठेठ   छत्तीसगढ़ी   मा,  भाव रखै ओ पोठ। हास्य व्यंग्य के कविता पढ़के, करय सियानी गोठ।। जन भाखा ले मान बड़िस हे, गावव गौरव गान। भाखा होइस हमर पोठ गा, मिलिस बने वरदान।। कोदूराम  दलित  जी  के सपना,  पूरा होही जान। पढ़बो लिखबो छत्तीसगढ़ी, लइका अऊ सियान।। जनभाखा के अब बन जाही, दुनिया मा पहिचान। जन जन गुन गाही भाखा