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कृष्ण कन्हैया (रोला छंद)









कृष्ण कन्हैया (रोला छंद)

कहिथे माखन चोर, नाव हे कृष्ण कन्हैया।
बँसरी मधुर बजाय, भगत नाचे ता थैया। 
आस नन्द के लाल, दई हे तोर यशोदा।
रचै गजब तँय रास, देख हाँसत हे कोंदा।।

करै प्रेम के रास, संग मा राधा रानी।
गोपी नाचे रोज, रखै हावस तँय बानी।
बृंदाबन मा अजब, खेल खेले माया के।
रोज चराये गाय, संग जाके गइया के

रखै जगत मा ज्ञान, याद राखे दुनिया हा।
सबके भाग जगाय, देख कृष्ण कन्हैया हा।
साथी बन जा मोर, बिराजव मन मा आके।
जपते रइहँव नाव, सदा मन अपन लगाके।

-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)

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संत गुरु घासीदास (हेम के दोहे)

बाबा घासीदास गा, तोर आय हव द्वार। तँय हर दीया ज्ञान के, मोरो मन मा बार।। निचट अज्ञानी मँय हवव, बता ज्ञान के सार। बाबा अड़हा जान हव, जग ले मोला तार।। दुनिया मा हावे भरै, माया के भण्डार। आके मोरो तँय लगा, बाबा बेड़ा पार।। सबो जीव बाबा हवै, जग मा तोर मितान। सत्य बचन बाबा हवै, तोर जगत पहिचान।। मानव मानव एक हे, जगत तोर संदेश। भेद भाव मनके मिटै, आपस के सब क्लेश। सादा जिनगी तोर हे, सादा हवै लिवाज। सत रद्दा जिनगी चलै, रखै सत्य के लाज।। बाबा तँय सतनाम के, सुघ्घर पन्त चलाय। सत के झंडा देख ले, बाबा जग फहराय।। सत के पूजा ला करै, बाबा घासीदास। सत के रद्दा मा चलै, रहिके सत के पास।। -हेमलाल साहू ग्राम गिधवा, पोस्ट बेमेतरा तह. नवागढ़, जिला बेमेतरा(छ.ग.)

जुबान (कुंडलिया छंद)

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