कृष्ण कन्हैया (रोला छंद)
कहिथे माखन चोर, नाव हे कृष्ण कन्हैया।
बँसरी मधुर बजाय, भगत नाचे ता थैया।
आस नन्द के लाल, दई हे तोर यशोदा।
रचै गजब तँय रास, देख हाँसत हे कोंदा।।
करै प्रेम के रास, संग मा राधा रानी।
गोपी नाचे रोज, रखै हावस तँय बानी।
बृंदाबन मा अजब, खेल खेले माया के।
रोज चराये गाय, संग जाके गइया के
रखै जगत मा ज्ञान, याद राखे दुनिया हा।
सबके भाग जगाय, देख कृष्ण कन्हैया हा।
साथी बन जा मोर, बिराजव मन मा आके।
जपते रइहँव नाव, सदा मन अपन लगाके।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)
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