देखत देखत सपना ओकर, सुध बुध मोर गँवावय।।
गोरी के सुरता हा आवय, सुघ्घर मुखड़ा हावय।
गोरी नारी सुघ्घर हावय, देख मोर मन भावय।।
कारी कारी आँखी हावे, भरे मया के थारी।
गोल चेहरा ओकर हावे, हवै मया गा भारी।।
घर में रोजे गारी देथे, टूरा ल काय होगे।
बइहा भुतहा मोला कहिथे, टूरी बर मोहागे।।
झूले नजरे नजर मोर जी, मोला कछू न भावय।
प्रेम रोग मोला लगे हवे, बइगा कोन बुलावय।।
--हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.)
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