कड़हा कचरा कस जन छाँट। अपन मया ला सबला बाँट।
पथरा जइसन झन तँय तीप। करसा कस सीतल बन सीप।
देख समारू करथे गोठ। छत्तीसगढ़ी मा बड़ पोठ।
छत्तीसगढ़ी बोली बोल। मनके अपने आपा खोल।
दया धरम ला करदे दून। पाप तोर हो जाही शून।
मनला बने भक्ति मा सार। जीव होय भवसागर पार।
आव महूँ बइगा तँय जान। मार भगाथौ मुड़ी मसान।
माँगव ब्याज संग मा सूत। मन्तर मारव भागय भूत।।
राम सबो ले हावे सोझ। नइहे ककरो ओहर भोझ।
रोज मेहनत करथे जेन। हो जाथे दुरिहा सब पेन।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)
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