नागपंचमी आगय भइया, पूजा करबो साँप।
महादेव के जप ला करबो, सबो कटे गा पाप।।
लछ्मी दाई घर लावय जी, सुमिरन करलव नाग।
दूर करय सब दरिदरता ला, हमर जगावय भाग।।
साँप नहीं मनखे के बइरी, ओकर जान मितान।
शिव बोला के माला हावे, बिसनू आसन जान।।
हितवा मन के साथी जानव, बइरी के तो काल।
हवे मोह सबला परान के, रखथे एखर ख्याल।।
-हेमलाल साहू
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)
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