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सावन सोमवार (सरसी छन्द)

सावन सोमवार के संगी, साधक करय उपास।

महादेव के जाप करे जी, रख दरशन के आस।।


सरधा मन ले फूल चढ़ाबो, संग बेल के पान।

भूखा हे भगवान भाव के, रखे भगत के मान।।


अपन मनौती ला मनवाबो, गिर चरनन मा आज।

गंगा जल ला अरपित करबो, पूरन करही काज।।


जाप ओम के गूँजत हावय, देखव चारो धाम।

कैलाशपति तोर शिव भोले, अवघर दानी नाम।।


धरै हाथ मा डमरू त्रिशूल, गला लपेटे नाग।

देख जटा में गंगा सोहय, पिये धतूरा भाँग।।


जहर कण्ठ मा दाबे भोला, करै जगत कल्यान।

पहिर साँप बिच्छी के माला, रखथस संग मशान।।


माता पारवती सँग रहिथे, बेटा तोर गणेश।

दूर करे सबके दुख पीरा, धरे गजानन भेस।।


जय जय हो भोले भंडारी, करबे मन मा वास।

सावन सोमवार के संगी, साधक करय उपास।।


-हेमलाल साहू 

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग.) 

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