सुख दुख के मोर संगवारी, जेला कहे मितान।
हावय सुघ्घर जी चिन्हारी, दया मया पहिचान।।
सुघ्घर खाथन मिल बाँट हमन, लेथन परभू नाम।
संगे रहिथन संगे घुमथन, करथन सुघ्घर काम।।
कृष्ण सुदामा हवे मितानी, हिरदय रखे मितान।
धन दौलत ला जानत नइहे, सबले बड़े महान।।
ऊँच नीच ला नइ जानय जी, मया रथे हर टेम।
मन मिलथे ता मितान बनथे, जान आज ले हेम।।
-हेमलाल साहू
ग्राम-गिधवा, जिला बेमेतरा (छ.ग.)
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