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राखी साखी प्रेम के (हेम के उल्लाला छंद)

ये राखी साखी प्रेम के, देख देख मन हा भरै।

नित दया मया दीदी रखै, भैया दुलार ला करैै।।


मन रोवत दीदी के हवे, भैया ला सुरता करै।

दुख पीरा ला काला कहै, बइठे राखी ला धरै।। 


गे भाई रक्षा बर हवय, बार्डर हमार देश के।

मैना के आँखी भींजथे, रोवत दीदी देख के।।


ओ मैना बोलिस बात सुन, जाहू भैया पास ओ

दे आहू राखी तोर मँय, अउ संदेशा खास ओ।।


सुन दीदी अतका बात ला, राखी लावय साथ मा।

खुश होके राखी अपन, देवत ओकर हाथ मा।।


कर पूजा सुघ्घर भेजथे, देवत शुभ संदेश ला।।

पहिना राखी ला मोर तँय, हरहू जम्मो क्लेश ला।


-हेमलाल साहू

छंद साधक सत्र-01

ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ. ग.)


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