परम भगत ओ राम के, संत महात्मा जे रहै।
नावे तुलसीदास हे, राम कथा ला नित कहै।
रतना के फटकार ले, मिलगे परभू राग हा।
मिटगे मन के पाप हा, जागे सुघ्घर भाग हा।
डूब राम के भक्ति मा, पाये अमरित ज्ञान ला।
रामचरितमानस लिखे, जग पाये पहचान ला।
कासी मा जिनगी कटै, करत राम गुनगान ला।
त्यागे अस्सी घाट मा, जप के राम परान ला।
दया धरम के बात ले, रखै जगत के मान ला।
अहंकार माया मिटै, पढ़ लौ तुलसी ज्ञान ला।
-हेमलाल साहू
छंद साधक सत्र-01
ग्राम गिधवा, जिला बेमेतरा(छ.ग)
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